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३२ : श्रमण, वर्ष ५५, अंक १-६/जनवरी-जून २००४ ८. गणितसारसंग्रह, १/१७-१९; आदिपुराण, पृ० १०५-१०९; शत्रुजय
कल्प ३/३३०; पुष्पदन्त कृत महापुराण ५/१८. ९. भगवतीसूत्र, आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर; सूत्र - ९०. १०. ठाणं (स्थानांग सूत्र), जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूँ, १९८० ई०, १०/
१००, सूत्र ७४७, पृ० १२०. ११. अनुपम जैन, 'जैन आगमों में निहित गणितीय अध्ययन के विषय', तुलसी प्रज्ञा
(लाडनूं), वर्ष १३, (१९८७ ई०), पृ० ५७-६४. 12. B.B. Dutt, The Jaina School of Mathematcis, B.C.M.S. (Calcutta), 21
(1929 A.D.), PP 115-145. १३. अनुपम जैन, जैन गणितीय साहित्य, अर्हत् वचन (इन्दौर) १ (१), १९८८ ई०,
११९-४०. १४. वही. १५.अनुपम जैन, कतिपय अज्ञात जैन गणित ग्रन्थ, गणित भारती (दिल्ली), ४
(१,२), १९८१ ई०, पृ० ३५-३६. १६.अनुपम जैन, प्राकृत भाषा में निबद्ध गणितीय ग्रन्थ, तुलसी प्रज्ञा (लाडनूं), २६
(१०६), जुलाई-९९, पृ० ३५-४३. १७.त्रिलोकसार, गाथा - १५. १८.गोम्मटसार,जीवकाण्ड, गाथा-१५७. १९.तिलोयपण्णत्ती, भारतवर्षीय दि० जैन महासभा, लखनऊ, १/३१०-३१२. २०.धवला, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर, पु० ३. २१.धवला, पु० ३, गाथा २३-३२. २२. गणितसारसंग्रह, १/५२. २३. वही, ६/२१७ २४. स्थानांगसूत्र, अध्याय-१०, सूत्र ७४७. २५. वही, ७/१२२ २६.धवला, क्षेत्रप्रमाणानुगम, पु० ४.
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