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हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार पुत्र को कहकर उत्पन्न हुए वैराग्यवाले राजा ने सद्गुरु के पास संसार का उच्छेद करनेवाली प्रव्रज्या को विधि से स्वीकृत किया। गाहा :
नरवाहणोवि राया रज्जं पालेड़ पणय-पडिवक्खं । चिट्ठइ कन्नतेउर-मज्झे कमलावई वि सुहं ।।११२।।
छाया:
नरवाहनोऽपि राजा राज्यं पालयति प्रणत-प्रतिपक्षम् ।
तिष्ठति कन्यान्तः पुर मध्ये कमलावत्यपि सुखम् ।।११२॥ अर्थ :- नम्या छे शत्रु राजाओ जेने एवो ते नरवाहन राजा पण राज्य- पालन करतो हतो अने कुमारी कमलावती पण अंतः पुरमा सुखपूर्वक रहेती हती। हिन्दी अनुवाद :- नम्र हुए हैं शत्रु-राजा जिनके ऐसा वह नरवाहन राजा भी राज्य का पालन करता था और कुमारी कमलावती भी अंत:पुर में सुखपूर्वक रहती थी। गाहा :
राजानो मित्र वणिक् तथा तेनो परिवार - एत्तो य तम्मि नयरे निवसइ वणिओ उ सागरो नाम ।
रन्नो बाल-वयंसो जिण-वयणे गाढ़मणुरत्तो ।।११३।। छाया:
इतश्च तस्मिन्नेव नगरे निवसति वणिक्तु सागरो नाम ।
राज्ञो बालवयस्यो जिन-वचने गाढ़मनुरक्तः ||११३॥ अर्थ :- आ बाजु ते ज नगरमां जिन-वचनमां अत्यंत अनुरागवाळो राजानो बाळमित्र सागर नामनो वाणियो रहेतो हतो। हिन्दी अनुवाद :- उसी नगर में जिन-वचन में अत्यंत अनुरागवाला राजा का बालमित्र सागर नाम का वणिक रहता था। गाहा :
सिरिमइ-नामा भज्जा अइप्पिया तस्स सील-संपन्ना ।
सिरिदत्तो से पुत्तो सिरिकंता तहय दुहियत्ति ।।११४।। छाया:
श्रीमती नाम्नी भार्या अतिप्रिया तस्य शील-संपल्ला । ।
श्रीदतस्तस्य पुत्रः श्रीकान्ता तथा च दुहेतेति ॥११४॥ अर्थ :- शील संपन्न श्रीमती नामनी पत्नी तेने अत्यंत प्रिय हती अने श्रीदत्त नामनो पुत्र तथा श्रीकांता नामनी तेनी पुत्री हती। हिन्दी अनुवाद :- उसे शील संपन्न श्रीमती नाम की अत्यंत प्रिय पत्नी और श्रीदत्त नाम का पुत्र तथा श्रीकांता नाम की पुत्री थी। गाहा :- राजपुत्री कमलावती अने वणिक् पुत्री श्रीकांतानी मैत्री
सिरिकंता अणुदियहं वच्चई कमलावईए पासम्मि । जाया य गरुय-पीई अन्नोन्नं ताण दोण्हंपि ।।११५।।
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