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१८० : श्रमण, वर्ष ५५, अंक १-६ / जनवरी- जून २००४
२००४ को दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम परिसर में प्रातः काल सम्पन्न हुआ। श्री प्रद्युम्न कुमार जैन को उनकी कृति Jain and Hindu Logic पर वर्ष २००० का, डॉ० संगीता मेहता को जैन संस्कृत साहित्य में वर्धमान महावीर पर वर्ष २००१ का एवं डॉ० अनिल कुमार जैन को जीवन क्या है पर वर्ष २००२ का पुरस्कार समर्पित किया गया। ज्ञातव्य है कि पुरस्कार के अन्तर्गत २५०००/- रुपये की राशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रत्येक चयनित विद्वान को प्रदान किया जाता है।
इस अवसर पर द्विदिवसीय जैन विद्या संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें ५१ विद्वानों की उपस्थिति में चार सत्रों में विद्या के विभिन्न पक्षों पर १४. शोध पत्रों का वाचन हुआ।
इन दोनों आयोजनों में शिक्षा जगत् से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण व्यक्ति एवं इन्दौर के जैन समाज के गणमान्यजनों की गरिमामयी उपस्थिति उल्लेखनीय रही। डॉ० शेखर चन्द जैन अहिंसा इन्टरनेशनल पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित
तीर्थंकर वाणी अहमदाबाद के यशस्वी संपादक और तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० शेखर चन्द जैन श्री प्रेमचन्द जैन अहिंसा इन्टरनेशनल पत्रकारिता पुरस्कार - २००४ से सम्मानित किये गये। डॉ० जैन को उनकी इस गरिमामयी उपलब्धि पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ की ओर से हार्दिक बधाई ।
प्राचीन पाण्डुलिपियों का संरक्षण करायें
महावीर दिगम्बर जैन पाण्डुलिपि संरक्षण केन्द्र, जयपुर (अधिकृत अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी) में प्राचीन, जीर्णशीर्ण एवं दुर्लभ पाण्डुलिपियों, अभिलेखों और कागजी दस्तावेजों का संरक्षण किया जाता है। हमारे यहाँ अब तक दिगम्बर जैन मन्दिर पाटौदी, जयपुर के शास्त्र भण्डार; चौरु, फागी, बांदरसींदरी, विजयनगर एवं मुहाना के शास्त्र भण्डारों से संरक्षण हेतु पाण्डुलिपियाँ आयी हैं। कोई भी जिनके पास या जिनकी जानकारी में दुर्लभ पाण्डुलिपियाँ, ग्रन्थ, दस्तावेज या प्राचीन अभिलेख नष्ट हो रहे हों, उनकी रक्षा के लिए कृपया निम्न पते पर सम्पर्क करें।
प्रो० ( डॉ०) कमलचन्द सोगानी संयोजक, जैनविद्या संस्थान समिति, दिगम्बर जैन नासियाँ भट्टारकजी,
सवाई रामसिंह रोड, जयपुर- ३०२००४
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