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________________ १७८ : श्रमण, वर्ष ५५, अंक १-६/जनवरी-जून २००४ (ख) अंग्रेजी कृति - JAINISM : A way to Peace, Happiness & Social well being - डॉ० जगदीश प्रसाद जैन, (अध्यक्ष - जैन मिशन) दिल्ली इन पुस्तकों में जैन धर्म, दर्शन, साहित्य, समाज, जीवनशैली एवं कला का आधुनिक युग के सन्दर्भ में उपर्युक्त मनीषी लेखकों ने सुबोध शैली में प्रामाणिक विवेचन किया है। इनके प्रकाशन से एक ही स्थान पर जैन संस्कृति की प्रमाणिक जानकारी जिज्ञासु पाठकों को मिल सकेगी। इन दोनों विद्वानों को इस पुरस्कार के अन्तर्गत प्रत्येक को इक्यावन हजार (५१०००/-) रुपये की राशि के साथ प्रशस्ति-पत्र एवं स्मृतिचिन्ह आदि फाउन्डेशन द्वारा चेनई में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किये जायेंगे। इन दोनों पुस्तकों का प्रकाशन भी फाउन्डेशन के सहयोग से शीघ्र किया जायेगा। आचार्य हेमचन्द्रसूरि पुरस्कार - २००३ भोगीलाल लहेरचन्द प्राच्य विद्या संस्थान गत आठ वर्षों से उपर्युक्त पुरस्कार से जैन शोध कार्य में संलग्न विद्वानों को पुरस्कृत करता आ रहा है। पुरस्कार की स्थापना सर्वश्री जसवन्त धर्मार्थ ट्रस्ट ने की है। चयन समिति जिस विद्वान् का चयन करती है उन्हें एतदर्थ आयोजित समारोह में इक्यावन हजार रुपये तथा आचार्य हेमचंद्रसूरि की स्वर्ण-भूषित प्रतिमा भेंट की जाती है। इस वर्ष चयन समिति ने इस पुरस्कार के लिए जर्मन विद्वान् प्रो० विलियम वी० बोली को चुना है। प्राकृत भाषा तथा जैन साहित्य पर प्रो० बोली की अनेक पुस्तकें प्रकाशित हैं। पुरस्कार समारोह जून २००४ के मध्य (संभावित तिथि १३.६.२००४) आयोजित किया जा रहा है। गत वर्षों में अधोलिखित विद्वानों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है : १. प्रो० एच०सी० भयाणी - १९९५ २. प्रो० एम०ए० ढांकी . १९९६ ३. प्रो० बी० एम० कुलकर्णी - १९९७ ४. प्रो० ए०एम० घाटगे • १९९८ ५. प्रो० एस०आर० बैनर्जी ६. श्री लक्ष्मणभाई भोजक - २००० ७. प्रो० जी०वी० टगारे - २००१ ८. प्रो० नगीन जे० शाह - २००२ - १९९९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525052
Book TitleSramana 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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