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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org मोदराज तेजोराज भुवनकीर्ति I हर्षकुंजर लब्धिमंडन लक्ष्मीकीर्ति तपारत्न खरतरगच्छ क्षेमकीर्तिशाखा के मुनिजनों की गुरु-शिष्य परम्परा जिनकुशलसूर (तृतीय दादा गुरु) भुवनसोम साधुरंग T धर्मसुन्दर दानविजय गुणवर्धन विनयप्रभ 1 विजयतिलक क्षेमकीर्ति (शाखा प्रर्वतक ) क्षेमहंस (मेघदूतदीपिका के कर्ता) | सोमध्वज मुनिशेखर पुण्यतिलक क्षेमराज ( फलवर्धिकापार्श्वनाथरास; श्रावकाचारचौपाई (वि०सं० १५४६); चारित्रमनोरथमाला; | इखुकारीराजाचौपाई, मंडपाचलचैत्यपरिपाटी आदि विभिन्न कृतियां के रचनाकार) प्रमोदमाणिक्य क्षेमसोम गुणरत्न जयसोम कर्मचन्द्रवंशोत्कीर्तन, बारहव्रतसंग्रहरणरास वि०सं० १६४७, बारह भावनासंधि वि० सं० १६४६, वयरस्वामिचडपड़ वि०सं० १६५९, चौबीसजिनगणघरसंख्यास्तवन वि०सं० १६५९, संभवस्तवन वि० सं० १६५७ आदि अनेक कृतियों के रचनाकार विजयतिलक गुणविनय (जलदमयन्तीकथावृत्ति वि० सं० १६५७; खण्डप्रशस्तिवृत्ति वि०सं० १६४३ आदि के कर्ता) | सुयशकीर्ति (वि० सं० १६६६ में शंखेश्वर पार्श्वनाथगाथास्तवन के रचनाकार) खरतरगच्छ - क्षेमकीर्तिशाखा का इतिहास : १२५
SR No.525052
Book TitleSramana 2004 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2004
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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