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कार्यों का अवलोकन तथा उनकी जानकारी प्राप्त करना है। यह दल काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी-विभाग के प्रो० राजमणि शर्मा के निर्देशन में विद्यापीठ पहुँचा। संस्था के प्रशासनिक अधिकारी एवं वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने आगन्तुक छात्रदल एवं अधिकारियों का स्वागत करते हुए अपने वक्तव्य में जैनाचार्यों द्वारा हिन्दी साहित्य के विकास में किये गये अवदान की चर्चा। इस अवसर पर संस्थान में अध्ययनार्थ विराजित पार्श्वचन्द्रगच्छ की चार साध्वियों- क्रमशः प०पू० साध्वी संयमरसा श्रीजी, साध्वी सिद्धान्तरसा श्रीजी, साध्वी संवेगरसा श्रीजी एवं साध्वी पुनीतकला श्रीजी के मङ्गलाचरण के बाद भजन एवं तत्पश्चात् अपने उद्बोधन में साध्वी सिद्धान्तरसा श्रीजी ने छात्रों के कर्तव्यों पर प्रकाश डाला। अनुसन्धान अधिकारी श्री खुवालकर जी ने अपने छात्रदल का परिचय कराया और प्रो० राजमणि शर्मा ने जैनाचार्यों द्वारा हिन्दी के विकास में दिये गये अवदान को सराहा। दल के सभी सदस्य विद्यापीठ की गतिविधियों को देखकर अभिभूत थे। अन्त में डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने धन्यवादप्रकाश किया।
उपा० यशोविजय स्मृति मन्दिर
एवं
श्रीराजयशसूरि विद्याभवन
का
लोकार्पण पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिसर स्थित नवनिर्मित दो भव्य भवनों- उपा० यशोविजय स्मृति मन्दिर एवं श्रीराजयशसूरि विद्याभवन का लोकार्पण समारोह ३१ दिसम्बर को प्रख्यात विधिवेत्ता एवं राज्यसभा के सदस्य डॉ० लक्ष्मीमल सिंघवी के करकमलों द्वारा प्रातः १० बजे सम्पन्न हुआ। धर्मप्रभाविका प्रवर्तिनी आर्या ॐकार श्रीजी म० ठाणा-१० के सान्निध्य में आयोजित इस भव्य समारोह में पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्राण श्री भूपेन्द्रनाथजी जैन, प्रो० सागरमल जैन, प्रो० श्रीनारायण मिश्र, प्रो० माहेश्वरी प्रसाद, प्रो० रेवतीरमण पाण्डेय, प्रो० सुदर्शनलाल जैन, डॉ० फूलचन्द्र जैन 'प्रेमी', डॉ० कमलेशकुमार जैन, श्री राजेन्द्रकुमार जैन, डॉ० (श्रीमती) कमलप्रभा जैन, डॉ० जे० यादव तथा बड़ी संख्या में शोधछात्र उपस्थित रहे। गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्वकुलपति प्रो० बेनीमाधव शुक्ल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। प्रो० सागरमलजी जैन ने संस्थान का परिचय दिया और कुंवर विजयानन्द सिंह ने डॉ० सिंघवी को सौंपे जाने वाले अभिनन्दनपत्र का वाचन किया। इस अवसर पर डॉ० सिंघवी ने परिसर स्थित
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