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राणाश्रममरमाण सामगठबकमया श्रमण-कण-श्रवणश्मन मान्यतया wunomim a noran .momतसर
TAIMELoan प्रात्यानमालककाल मश्रकरण प्रजासण
अगमकामयणप्रण मारमण-मर-कम-कमश्रवाश्रमण-armकणभमप्रमण
मामpuran omemaiDOm श्रमणमणरमण ISRUARRERatoभाइलामकायाालनमश्रमणमण श्रममा श्रममनमप्रमणमममेकर्मणश्रमण श्रमण प्रमण
राष्ट्रोत्थान में प्रागैतिहासिक कालीन जैन
डॉ० (श्रीमती) पुष्पलता जैन
महिलाएँ सृष्टिकाल से ही मूक सेविकाएँ रही हैं। उन्होंने प्रारम्भ से ही सामाजिक अस्मिता को सुधारने और आत्मोत्थान को जागृत करने में अपनी सारी शक्ति लगायी है, इसलिए प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्र को आगे बढ़ाने में उनके योगदान की उपेक्षा नहीं की जा सकती। अभी तक उनका विकासोन्मुख मूल्याङ्कन नहीं हुआ है। साहित्य इस विषय में प्राय: मौन रहा है और उन्होंने स्वयं कलम पकड़ी नहीं है इसलिए यह मूल्याङ्कन उतना सशक्त नहीं हो सकता; यह तथ्य भी हमारी दृष्टि में है।
__ जैन दर्शन वस्तु-स्वातन्त्र्य का जयनाद करता रहा है और महिला और पुरुष के बीच समानता को स्थापित करने में अग्रणी भी रहा है, पर व्यावहारिक सत्ता में उसने महिला वर्ग की दुर्बलता का शङ्खनाद भी किया है। यहां हम उन प्रागैतिहासिक महिलाओं का स्मरण करेंगे, जो इतिहास और पुरातत्त्व की शुष्क परिधि से बाहर रही हैं। आगमों
और पुराणों में उनके अवदान पर विशेष कलम नहीं चलायी गयी, इसलिए यह कठिनाई भी हम सभी के सामने है।
तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ और महावीर के पूर्व का काल हम साधारणत: प्रागैतिहासिक मानकर चल रहे हैं। कुलकर-परम्परा से ऋषभदेव का काल और ऋषभदेव से तीर्थङ्कर नेमिनाथ का काल साहित्य और इतिहास की दृष्टि से अन्धकाराच्छन्न है। इस पर तर्कों का प्रहार नहीं किया जा सकता। हमें जो कछ भी पुराणों में सामग्री मिलती है उससे ही सन्तोष करना पड़ता है और यह सामग्री ना के बराबर है। ___इतिहास के दौरान नारी को अनेक परिस्थितियों से गुजरना पड़ा है। जैनेतर समाज की वस्तुस्थिति से भी वह अप्रभावित नहीं रह सकी। प्रारम्भ में समाज मातृसत्तात्मक होने के बावजूद पुरुष उसके आसपास घूमता रहा है और उसने उसे पितृसत्तात्मक स्थिति में पहुंचाकर ही सांस ली है। ऋग्वेद की अपाला, घोषा, लोपा तथा मुद्रा आदि नारियों की ऋचाओं का उद्घोष हमारे सामने है तो उपनिषद्कालीन गार्गी और “मैत्रेयी की ज्ञानधारा से भी हम अपरिचित नहीं है। उत्तर-वैदिककाल में नारी का सामाजिक महत्त्व * अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, एस०एफ०एस० कालेज, नागपुर.
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