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________________ एकण टायमल मन ममता का अहम् ऊमरवण मग BEERASHTRACH APANCERTERPUREEZARSANSareer सादड़ामक प्रातमालखलमडाल्लाखत dERO का ? मा प्रजामणERE RanaHRISHULASARARASTRU S HY. SOMATRADAMuran REAL LOVE? - एम काय ? RTE ARTHAPA शिवप्रसाद राजस्थान प्रान्त के जोधपुर मंडल के अन्तर्गत स्थित सादड़ी नामक स्थान पर चिन्तामणि पार्श्वनाथ का एक महिम्न जिनालय है। इसमें प्रतिष्ठापित विभिन्न जिनप्रतिमाओं में पार्श्वनाथ की धातु की एक पञ्चतीर्थी प्रतिमा पर वि०सं० १५०१ का एक लेख उत्कीर्ण है। इस लेख में प्रतिमाप्रतिष्ठापक मुनि के रूप में मुनितिलकसूरि का नाम मिलता है साथ ही उनके पूर्ववर्ती तीन मुनिजनों- मुनितिलकसूरि के गुरु जयाणंदसूरि, जयाणंदसूरि के गुरु वीरचन्द्रसूरि और वीरचन्द्रसूरि के गुरु हेमतिलकसरि का नाम मिलता है। प्रतिमालेखों में सामान्य रूप से प्रतिमाप्रतिष्ठापक मुनि तथा कभी-कभी उनके गुरु का भी नाम मिल जाता है, किन्तु इस लेख में प्रतिमाप्रतिष्ठापक मुनि के तीन पीढ़ियों का नाम मिलता है जो अपने आप में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। मुनितिलकसूरि किस गच्छ के थे? इस बारे में उक्त अभिलेख से कोई जानकारी नहीं मिलती, अत: इसके लिये अन्यत्र प्रयास करना होगा। महावीर जिनालय, वरमाण से प्राप्त वि०सं० १४४६ के एक स्तम्भलेख में ब्राह्मणगच्छीय मुनिजनों की एक छोटी सी गुर्वावली दी गयी है, जो इस प्रकार है मदनप्रभसूरि भद्रेश्वरसूरि विजयसेनसूरि रत्नाकरसूरि हेमतिलकसूरि ब्राह्मणगच्छीय विभिन्न अभिलेखीय साक्ष्यों में उक्त सभी मुनिजनों का प्रतिमा-प्रतिष्ठापक के रूप में नाम मिल जाता है। मडार स्थित एक जिनालय से प्राप्त *. प्रवक्ता. पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525043
Book TitleSramana 2001 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2001
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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