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________________ १६० महोत्सव, गजरथ आदि विभिन्न कार्यक्रम २१-२७ फरवरी २००१ के मध्य सम्पन्न हुए। इस आयोजन में बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। आयोजकों की ओर से भारी भीड़ जुटने की सम्भावना को देखते हुए ४५० एकड़ भूमि पर ५ बड़े-बड़े ये गये थे जहाँ आगन्तुक श्रद्धालुओं के भोजन-आवास आदि की सुन्दर व्यवस्था की गयी थी। अधिक से अधिक लोग कार्यक्रम को देख सकें, इसके लिये बड़ी संख्या में यहाँ क्लोज सर्किट टेलीविजन सेट भी लगाये गये थे। इसी अवसर पर यहाँ २२-२३ फरवरी को अ० भा०दि० जैन विद्वत्परिषद् के स्वर्णजयन्ती के अवसर पर २० वें साधारण सभा का अधिवेशन भी आयोजित किया गया। निमन्त्रित विद्वानों के आवास, भोजन एवं मार्गव्यय की व्यवस्था महोत्सव समिति की ओर से की गयी थी । पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक प्रो० भागचन्द्र जैन भी इस अधिवेशन में आमन्त्रित किये गये, परन्तु वे अत्यन्त व्यस्तता के कारण इसमें उपस्थित न हो सके। शोक समाचार श्रीशौरीलाल जैन की धर्मपत्नी का निधन पार्श्वनाथ विद्यापीठ की प्रबन्ध समिति के वरिष्ठ सदस्य, जैन आप्टिकल इन्डस्ट्रीज, दिल्ली के संस्थापक श्री शौरालाल जी जैन की धर्मपत्नी का दिनांक २ मार्च को दिल्ली स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। आप अत्यन्त धर्मपरायण महिला थीं। आप अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गयीं हैं। पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार दिवंगत आत्मा को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्री शौरीलाल जी जैन एवं उनके परिजनों के प्रति शोक की इस घड़ी में संवेदना प्रकट करते हुए ईश्वर से यह प्रार्थना करता है कि वह इन्हें इस महान् कष्ट को सहन करने की शक्ति प्रदान करे । पं० पन्नालाल जैन दिवंगत जैन धर्म-दर्शन एवं साहित्य के वयोवृद्ध विद्वान् एवं अनेक ग्रन्थों के सम्पादक और अनुवादक पं० पन्नालाल जी साहित्याचार्य १० मार्च को दिवंगत हो गये। उन्होंने जीवन भर साहित्य साधना की। वे वर्णी महाविद्यालय, मोराजी, सागर के प्राचार्य रहे । वहाँ से सेवानिवृत्त होने के पश्चात् आचार्य विद्यासागर जी के अनुरोध पर उन्होंने वर्णी गुरुकुल, पिसनहारी की मढ़िया, जबलपुर को अपनी सेवायें देना स्वीकार किया और अपने अन्तिम समय तक वे इस संस्था में कार्यरत रहे । पार्श्वनाथ विद्यापीठ की ओर से पण्डित जी को हार्दिक श्रद्धाञ्जलि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525043
Book TitleSramana 2001 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2001
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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