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________________ था और चण्डप्रद्योत पराजित सम्राट्। इसीलिए 'क्षमावीरस्य भूषणम्' कहा गया है। (२) पुरुषोत्तम राम ने बहुरूपिणी विद्या सिद्ध करने पर भी रावण को नहीं मारा, यह राम की उत्तम क्षमा थी। (३) पृथ्वीराज ने मुहम्मद गोरी को उसके आक्रमण करने पर सत्रह बार हराया और क्षमा किया। (४) द्रोणाचार्य का पाठ युधिष्ठिर ने अपने मन में व्यावहारिक रूप से सही ढंग से उतारा। (५) पं० गोपालदास वरैया पर उनकी पत्नी का बरसता हुआ क्रोध प्रसिद्ध है। (६) महाकवि बनारसीदास ने रास्ते में पेशाब की। इस पर पहरेदार ने उन्हें दण्डित किया। राजा के सामने पहरेदार के पहुंचने पर बनारसीदास ने उसे पुरस्कार दिलाया और उसके कर्तव्य की भरपूर प्रशंसा की। (७) राजा उदायन ने अवन्तीपति चण्डप्रद्योत को क्षमाकर ससम्मान उसका राज्य वापस किया। (८) केवली नागदत्त ने क्रोध के कारण ही अपने श्रमण पर्याय की विराधना कर नागयोनि में जन्म लिया और क्रोध के शान्त होने पर मनुष्य भव प्राप्त कर, क्षमा की आराधना से मुक्ति प्राप्त की। ये सभी उदाहरण यह व्यक्त करते हैं कि क्रोध-निग्रह से क्षमा या क्षान्ति का आविर्भाव होता है। तत्वार्थराजवार्तिक, उत्तराध्ययन आदि ग्रन्थों में क्षान्ति की यही व्याख्या की गई है। उत्तम क्षमा का यही रूप है जिसकी हम इस महापर्व में आराधना करते हैं। क्रोधादि विकार भाव असत् हैं, झूठे हैं, क्षमा आदि भाव सत् हैं, सत्य हैं। उनको भलीभाँति हमें धारण करना चाहिए। क्षमा भाव के विस्तार से साधक करुणाशील हो जाता है। उसका मन क्रोधी के प्रति दयाद्र हो जाता है। सोचता है क्रोधी के अविवेक पर, प्रमाद पर। उसकी गालियों पर वह कोई ध्यान नहीं देता, प्रतिक्रिया नहीं करता बल्कि हंस देता है। साधक द्वारा कोई प्रतिक्रिया न करना क्रोधी सहन नहीं कर पाता; क्योंकि क्रोधी परतन्त्र है, उसका क्रोध निमित्त पर, पर पर आधारित है, परन्तु उत्तम क्षमाशील साधक स्वतन्त्र है, उसका पर समाप्त हो गया है। उसके साथ प्रसन्नता है, आनन्द है जिसके लिए दूसरे की आवश्यकता नहीं रहती, करुणा है जो सदैव ज्योति के समान निरपेक्ष होकर बहती रहती है। कषाय से भी वह मुक्त हो गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525038
Book TitleSramana 1999 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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