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छद्यस्थकाल तथा वर्षावास
ठाणाङ्गसूत्र में महापद्मचरित्र के प्रसंग में महावीर के विषय में लिखा है कि उन्होंने तीस वर्ष गृहस्थावस्था में, बारह वर्ष तेरह पक्ष केवलज्ञान प्राप्ति में और तेरह पक्ष कम तीस वर्ष धर्म प्रचार में बिताये।८ तदनुसार महावीर ने महाभिनिष्क्रमण से लेकर केवलज्ञान प्राप्ति तक छद्मस्थावस्था में जिन स्थलों में बिहार और वर्षावास किया, उनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है१. कुण्डग्राम, कर्मारग्राम (कम्मन-छपरा), कोल्लाग सन्निवेश, मोराक सनिवेश,
ज्ञातखण्डवन, दुइज्जंतग, अस्थिक ग्राम (वर्षावास)। मोराक सन्निवेश, दक्षिण-उत्तर वाचाला, सुरभिपुर, श्वेताम्बी, राजगृह, नालन्दा
(वर्षावास)। ३. कोल्लाग, सुवर्णखिल, ब्राह्मणग्राम, चम्पा (वर्षावास)। ४. कालाप, पन्त, कुमाराक, चोराक, पृष्ठ चम्पा (वर्षावास) ५. कयंगला, हल्लिदय, आवर्त, कलंकबका, पूर्णकलश, श्रावस्ती, नंगला, लाढ़
(लाट) देश, मलय, भद्दिल (वर्षावास) (वैशाली के पास)। ६. कदली, तंबाय, कूबिय, वैशाली, जम्बूसंड, कुपिय, ग्रामाक, भदिया
(वर्षावास)। ७. मगध, अलभिया (वर्षावास)।
कुण्डाक, बहुसालग, लोहार्गला, गोभूमि, मर्दन, शालवन, पुरिमताल, उन्नाग, राजगृह (वर्षावास)।
लाढ़-वज्रभूमि, सुब्रम्हभूमि (वर्षावास यहाँ के वृक्षों और खण्डहरों में हुआ।)। १०. कूर्मारग्राम, सिद्धार्थपुर, वैशाली, वाणिज्यग्राम, श्रावस्ती (वर्षावास)। ११. सानुलट्ठिय, दृढभूमि, मोसलि, सिद्धार्थपुर, वज्रगांव, आलंभिया, श्वेताम्बिका,
वाराणसी, मिथिला, मलय, कौशाम्बी, राजगृह, वैशाली (वर्षावास)। १२. सुन्सुमारपुर, नन्दिग्राम, कौशाम्बी, मेढ़ियाग्राम, सुमंगल, सुछेत्ता, पालक, चम्पा
(वर्षावास)। १३. जम्भिय, मेढिय, छम्माणि, मध्यमपावा, जंभियग्राम।
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