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साभार प्राप्त
साधर्मिक मारी दृष्टिये : प्रवचनकार- आचार्य श्री विजय भुवनभानुसूरीश्वर जी म.सा०, सम्पादक- पूज्य पंन्यास श्री नंदिभूषण विजय जी म.सा०; प्रकाशक- पूज्य आचार्यश्री भुवनभानुसूरिस्मृतिमन्दिर, पंजक सोसायटी, भठ्ठा, पालडी, अहमदाबाद ३८०००७; आकर- डिमाई; प्रथम संस्करण वि०सं०
२०५५; पृष्ठ ८+१५६; मूल्य २५/- रुपये। २. संघ दृष्टिले भुवनभानुसूरि : संकलक-सम्पादक- पूज्य पंन्यास श्री नंदिभूषण
विजय जी म०सा०; प्रकाशक- पूर्वोक्त; आकार-डिमाई, प्रथम संस्करण
वि०सं० २०५५; पृष्ठ १०+१७४; मूल्य ३०/- रुपये। ३. पर से कुछ भी सम्बन्ध नहीं : लेखक- पण्डित रतनचन्द भारिल्ल;
प्रकाशक- पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, ए-४, बापूनगर, जयपुर-३०२०१५; आकार– डिमाई, द्वितीय संस्करण १९९८ ई०, पृष्ठ ६४, मूल्य ५/- रुपये। तत्त्वानुशीलन : लेखक- श्रद्धेय श्री शशीकान्त म०सेठ; प्रका०- श्री वीतराग सत्साहित्य प्रसारक ट्रस्ट, ५८०, जूनी माणेक वाड़ी, भावनगर ३६४००१ (गुजरात); आकार-डिमाई; पृष्ठ १२+१६१; प्रथम संस्करण
वीरसं० २५२४; मूल्य - स्वाध्याय। ५. गंगा अवतरण एवम् स्वर्ग की घ्यावहारिक अवधारणा (एक अनुशीलन):
लेखिका-- डॉ० संगीता मिश्रा, प्रका०- भारती निकेतन, टेढ़ी बाजार, वशिष्ठ कुण्ड, अयोध्या, फैजाबाद-उत्तर प्रदेश; आकार-डिमाई; पृष्ठ १८; प्रथम
संस्करण- जुलाई १९९९ ई०, मूल्य स्वाध्याय। ६. श्रीशीलपाहुडविधान : रचनाकार- श्री राजमल पवैया, प्रका०- श्री भरत
पवैया, संयोजक- श्रीकानजी स्वामी ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ४, भोपाल
१९९९ई०; आकार--- डिमाई; पृष्ठ ६४; मूल्य ८/- रुपया। ७. श्रीदर्शनपाहुडविधान : रचनाकार- श्री राजमल पवैया; प्रका०- पूर्वोक्त;
श्री कानजी स्वामी ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ५, भोपाल १९९९ ई०; आकारडिमाई, पृष्ठ ६८; मूल्य ८ रुपया। श्री चारित्रपाहुड विधान : रचनाकार- श्री राजमल पवैया; प्रका०- पूर्वोक्त; श्री कानजी स्वामी ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ६, भोपाल १९९९ ई०; आकारडिमाई, पृष्ठ ६८; मल्य ८/- रुपया।
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