________________
जैन आगमों में धर्म-अधर्म : 71
४५. तं जहा धम्मत्थिकाए एवं जहा पण्णवणाए जाव, से तं अरूवि- अजीवाभिगमे।
वही-१/४. ४६. प्रज्ञापनासूत्र, संपा० मधुकर मुनि, जिनागम ग्रंथमाला, ग्रंथांक-१६, आगम प्रकाशन
समिति, ब्यावर, १६८३, १/४. ४७. अरूविअजीवपण्णवणा दसविहा पन्नत्ता। तं जहा- धम्मत्थिकाए, धम्मत्थिकाए देसे
धम्मत्थिकायस्स पदेसा अधम्मत्थिकायस्स देसे अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, आगासस्थिकाए आगासत्थिकायस्स देसे आगासत्थिकायस्स पदेसा, अद्धासमय। से तं
अविअजीवपण्णवणा। वही-१/५. ४८. धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए य एते णं तिणि वि तुल्ला दव्वट्ठयाए
सव्वत्थोवा, धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए य एते णं दोण्णि वि तुल्ला पदेस्टुताए असंखेज्जगुणा, जीवत्थिकाए दव्वट्ठयाए अणंतगुणे, से चेव पदेसठ्ठताए असंखज्जगुणे, पोग्गलत्थिकाए दव्वट्ठयाए अणंतगुणे, से चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणे, अद्धासमए
दवट्ठ-पदेसट्टयाए अणंतगुणे आगासत्थिकाए पएसट्टयाए अणंतगुणे । वही-३/२७३. ४६. जीवा चेव अजीवा य एस लोए वियाहिए। उत्तराध्यययनसूत्र, संपा०- मधुकर मुनि,
जिनागम ग्रंथमाला, ग्रंथांक-१६, आगम प्रकाशन समिति ब्यावर, १९८४/३६/२. ५०. वही - ३६/४. ५१. अरूवी दसहा वुत्ता रूविणो वि चउब्विहा। वही ५२. वही-३६/७-६ ५३. गइलक्खणो उ धम्मो अहम्मो ढाणलक्षणो। भायणं सव्वदव्वाणं नहं ओगाहलक्खणं ।।
वही-२८/६. ५४. अनुयोगद्वारसूत्र, संपा०- मधुकर मुनि, जिनागम ग्रंथमाला, ग्रंथांक-२८, आगम
प्रकाशन समिति ब्यावर, १६८७, गाथा-२१८. ५५. वही - गाथा-४०१. ५६. पुव्वाणुपुव्वी धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए
अद्धासमए । से तं पुव्वाणुपुवी। वही, १३२. ५७. पच्छाणुपुब्बी अद्धासमए पोग्गलत्थिकाए जीवत्थिकाए आगासत्थिकाए अधम्मत्थिकाए,
धम्मत्थिकाए। से तं पच्छाणुपुब्बी। वही, १३३.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org