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श्रमण प्रस्तुत अंक में
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जैन आगमों की मूल भाषा : अर्धमागधी या शौरसेनी १-२८ डॉ० सागरमल जैन दशाश्रुतस्कंधनियुक्ति : अन्तरावलोकन
३१-४४ डॉ० अशोक कुमार सिंह षट्प्राभृत के रचनाकार और उसका रचनाकाल
४५-५२ डॉ० के० आर० चन्द्र जैन आगमों में धर्म-अधर्म (द्रव्य) : एक ऐतिहासिक विवेचन ५३-७२ डॉ० विजय कुमार पंचकारण समवाय
७३-८० डॉ० रतनचन्द्र जैन अड्डालिजीय गच्छ
८१-८२ डॉ० शिवप्रसाद जर्मन जैन श्राविका डॉ० शेर्लोट क्राउझे
८३-६२ हजारीमल बांठिया
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जैन जगत्
• ६३-१०५
107-118
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Aştakaprakaraņa : An Introduction Dr. Ashok Kumar Singh
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1-28
Navatattvaprakaraņa Translated by: Dr. Shriprakash Pandey
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