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________________ 105 : श्रमण/अक्टूबर-दिसम्बर/१६६७ -- L . डॉ० सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रंथ पार्श्वनाथ विद्यापीठ, आई०टी०आई० मार्ग, करौंदी वाराणसी-२२१००५. दूरभाष- ०५४२-३१६५२१, ३१८०४६ पार्श्वनाथ विद्यापीठ के हीरक जयन्ती के शुभ अवसर पर (मार्च, १६६८) पार्श्वनाथ विद्यापीठ की प्रबन्ध समिति ने जैन धर्म एवं दर्शन के मर्मज्ञ मनीषी एवं संस्थान के निदेशक डॉ० सागरमल जैन का अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। यह अभिनन्दन ग्रंथ मुख्य रूप से तीन खण्डों में विभाजित होगा। प्रथम खण्ड डॉ० जैन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से सम्बन्धित होगा, जिसमें विद्वानों एवं शुभेक्षुओं द्वारा आमंत्रित अभिनन्दन ग्रन्थ समिति आपके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करने वाले संस्मरण/लेख संगृहीत होंगे। दूसरे खण्ड में आपकी रचनाओं पर विद्वानों द्वारा प्राप्त समीक्षाओं का समावेश होगा। अध्यक्ष तीसरे खण्ड में डॉ० जैन के कुछ चुने हुए शोघ लेखों का श्री नेमिनाथ जैन | संकलन होगा। ___ एतद् द्वारा डॉ० सागरमल जैन के विराट व्यक्तित्व से उपाध्यक्ष | सम्बन्धित विद्वानों/सामाजिक कार्यकर्ताओं की शुभाशंसाएं/ श्री भूपेन्द्र नाथ जैन श्री नृपराज जैन संस्मरण/आलेख आदि आमंत्रित हैं। कृपया अपने संस्मरण/समीक्षा/सुभाशंसाएं/आलेख कोषाध्यक्ष | आदि १० फरवरी १६६८ तक भेज कर हमें अनुगृहीत करें। श्री इन्द्रभूति बरड़ डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय प्रबन्ध सम्पादक डॉ० सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रंथ प्रबन्ध सम्पादक डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय पार्श्वनाथ विद्यापीठ, करौंदी, पोस्ट-बी०एच०यू०, वाराणसी-२२१००५। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525032
Book TitleSramana 1997 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1997
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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