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श्रमण/अप्रैल-जून/१९९६ :
६७
२०. द्रष्टव्य : संदर्भ, क्रमांक ३। २१. पं० लालचन्द भगवानदास गांधी, पूर्वोक्त, पृष्ठ ७६। २२. मोहनलाल मेहता : जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-३, पार्श्वनाथ विद्याश्रम
ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ११, वाराणसी १९६७ ईस्वी, पृष्ठ २४२। २३. वही, पृष्ठ २४३। २४. पं० लालचन्द भगवानदास गांधी, पूर्वोक्त, पृष्ठ ८०-८१॥ २५. जिनरत्नकोश, पृष्ठ ४१०) २६. वहीं, पृष्ठ ३८ २७. द्रष्टव्य : संदर्भ क्रमांक ४। २८. गांधी, पूर्वोक्त, पृष्ठ १२३। २९. द्रष्टव्य : संदर्भ क्रमांक ६। ३०. ज्ञातृधर्मकथा का एक नाम। ३१. द्रष्टव्य : संदर्भ क्रमांक ७। ३२. सांडेसरा, पूर्वोक्त, पृष्ठ १०२-१०४। ३३. मुनि जिनविजय : प्राचीन जैन लेख संग्रह, भाग-२, भावनगर १९२१ ईस्वी,
लेखांक ३९-२, ४२-५। ३४. अलंकारमहोदधि, संपा० पं० लालचंद भगवानदास गांधी, परिशिष्ट क्रमांक ४, पृष्ठ
४०१-४०३। ३५. सांडेसरा, पूर्वोक्त, पृष्ठ १०४-१०६। ३६. अलंकारमहोदधि, परिशिष्ट, क्रमांक ५-६, पृष्ठ ४०४-४१६। ३७. मुनि जिनविजय, पूर्वोक्त, लेखांक ४१-४। ३८. प्रबन्धकोश, संपा० मुनिजिनविजय, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ६, शांति
निकेतन १९३५ ई०। ३९. मोहनलाल दलीचंद देसाई, पूर्वोक्त, पृष्ठ ४३७।
संकेत सूची जै० ले० सं० - जैन लेख संग्रह, संपा० पूरनचन्द नाहर प्रा० जै० ले० सं० --- प्राचीन जैन लेख संग्रह, संपा० मुनि जिनविजय अ० प्रा० जै० ले० सं० - अर्बुद प्राचीन जैन लेख संदोह, संपा० मुनि जयन्तविजय बै० धा० प्र० ले० सं० - जैन धातु प्रतिमा लेख संग्रह, संपा० मुनि बुद्धिसागर, भाग १, २ प्रा० ले० सं० - प्राचीन लेख संग्रह, संपा० विजयधर्मसूरि बी० जै० ले० सं० - बीकानेर जैन लेख संग्रह, संपा० अगरचन्द नाहटा जे० ए० एस० ओ० बी० - जर्नल ऑव एशियाटिक सोसाइटी ऑव बाम्बे
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