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श्रमण/अप्रैल-जून/१९९६ :
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मुनिचन्द्रसूरि देवप्रभसूरि नरचन्द्रसूरि
पद्मदेवसूरि श्रीतिलकसूरि राजशेखरसूरि (वि० सं० १३८५/ई० सन्
१३२९ में न्यायकंदलीपंजिका के रचनाकार) संगीतोपनिषत्सारोद्धार
___ यह मलधारिगच्छीय वाचनाचार्य सुधाकलश द्वारा वि० सं० १४०६/ई० सन् १३५० में रची गयी ६१० श्लोकों की रचना है। यह ६ अध्यायों में विभक्त है। इसकी प्रशस्ति में ग्रन्थकार ने अपनी लम्बी गुरु-परम्परा का परिचय न देते हुए अपने पूर्वज अभयदेवसूरि तथा उनकी परम्परा में हुए श्रीतिलकसूरि एवं उनके शिष्य राजशेखरसूरि का अपने गुरु के रूप में उल्लेख किया है :
मलधारी अभयदेवसूरि
श्रीतिलकसूरि
राजशेखरसूरि
सुधाकलश (वि० सं० १४०६/ई० १३५० में
संगीतोपनिषत्सारोद्धार के रचयिता) उक्त साहित्यिक साक्ष्यों के आधार पर हर्षपुरीयगच्छ अपरनाम मलधारीगच्छ के मुनिजनों की गुरु-परम्परा की एक तालिका इस प्रकार निर्मित होती है (द्रष्टव्य तालिका
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