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________________ श्रमण / अप्रैल-जून/ १९९६ 10 १२३ उपनिदेशक एवं अहिंसा एवं मूल्य शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो० सुरेन्द्र वर्मा ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने जैन धर्म में मूल्यों की विवेचना नामक विषय पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में विद्यापीठ के प्रवक्ता डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय . विशेष रूप से उपस्थित रहे। आचार्य प्रेमसूरीश्वर जी महाराज पार्श्वनाथ विद्यापीठ में ११ मार्च : तपागच्छीय आचार्य प्रेमसूरीश्वर जी महाराज ठाणा ८ का विद्याश्रम में शुभागमन हुआ । यहाँ आपने विद्यापीठ की सम्पूर्ण शैक्षणिक गतिविधियों एवं क्रियाकलापों की विस्तृत जानकारी प्राप्त की। आपने यहाँ की स्थायी चित्रकला प्रदर्शनी एवं विशाल ग्रन्थागार और उसमें संगृहीत अनेक दुर्लभ सचित्र पाण्डुलिपियों आदि का अवलोकन करते हुए हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त की । विद्यापीठ के निदेशक प्रो० सागरमल जैन ने संस्थान के विद्वानों- • प्रो० सुरेन्द्र वर्मा, प्रो० सुरेश चन्द्र पाण्डेय, उपाचार्य डॉ० वशिष्ठ नारायण सिन्हा, वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० अशोक कुमार सिंह, डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय, डॉ० शिवप्रसाद, डॉ० रज्जन कुमार आदि का आचार्यश्री से परिचय कराया और जैन विद्या के अध्ययन, संशोधन, अध्यापन आदि के क्षेत्रों में इन सभी के अमूल्य योगदान की चर्चा की। आचार्यश्री और उनके सुशिष्यों ने उक्त विद्वानों से विभिन्न गूढ़ विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। जैन विद्या संगोष्ठी सम्पन्न इन्दौर १२-१३ मार्च, १९९६ : परमपूज्य आर्यिका शिरोमणि ज्ञानमती माता जी के पावन सान्निध्य में कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा दि० १२ मार्च १९९६ को जैन विद्या संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें 'आचार्य कुन्दकुन्द और उनका काल', 'जैन धर्म एवं विज्ञान', 'जैनधर्म एवं पर्यावरण', 'जैनागम एवं वास्तुशास्त्र' आदि अति महत्त्वपूर्ण विषयों पर लब्धप्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा शोधपत्रों का वाचन किया गया। दि० १३/३ / ९६ को प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' को उनकी अप्रकाशित कृति 'जैन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व' पर २५ हजार रुपये का कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रो० जैन ने इस राशि में ७५ हजार रुपये अपनी ओर से मिलाकर एक 'पारमार्थिक ट्रस्ट' के स्थापना की घोषणा की। इसी प्रकार उदयचन्द जैन, सुरेन्द्र कुमार आर्य एवं कुन्दनलाल जैन को अर्हत् वचन १९९४ के क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार प्रदान किये गए। इसी अवसर पर डॉ० अनुपम जैन को 'वाणीभूषण' की उपाधि से सम्मानित भी किया गया। पार्श्वनाथ विद्यापीठ में 'तान्त्रिक एवं आगमिक साहित्य के आयाम' विषय पर संगोष्ठी सम्पन्न काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग, धर्म-आगम विभाग एवं पार्श्वनाथ विद्यापीठ के संयुक्त तत्त्वावधान में तान्त्रिक एवं आगमिक दर्शन के आयाम विषय पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525026
Book TitleSramana 1996 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1996
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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