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________________ श्रमण Muli हारीजगच्छ डॉ. शिवप्रसाद प्राकमध्यकाल और मध्यकाल में निर्ग्रन्थ परम्परा के अल्पचेल ( श्वेताम्बर ) आम्नाय के अन्तर्गत विभिन्न नगरों या ग्रामों से उद्भूत अल्पजीवी गच्छों में हारीजगच्छ भी एक है। पाटण और शंखेश्वर के मध्य मेहसाणा जिले में जिला मुख्यालय से ६७ किलोमीटर दूर पश्चिम में हारीज नामक एक स्थान है। यह गच्छ सम्भवत: वहीं से अस्तित्त्व में आया प्रतीत होता है। इस गच्छ से सम्बद्ध केवल एक साहित्यिक साक्ष्य आज मिलता है वह है कातंत्र-व्याकरण पर दुर्गसिंह द्वारा प्रणीत वृत्ति पर वि० सं० १५५६/ईस्वी सन् १५००में रची गयी अवचूर्णि; जो आज श्री विजयसूरीश्वर ज्ञानमन्दिर, राधनपुर में संरक्षित है। श्री अमृतलाल मगनलाल शाह ने उक्त कृति की प्रशस्ति का पाठ दिया है, जो कुछ सुधारों के साथ निम्नानुसार है : सं० १५ आषाढादि ५६ वर्षे । शाके १४२१ प्रवर्तमाने फाल्गुनमासे शुक्ल पक्षे। तृतीयातिथौ। रविदिने। मीनराशिस्थितचन्द्रे ।। तद्दिने ।। श्रीभानुराज्ञि राज्यं कुर्वाणे अद्येह। श्री इलदुर्गे ।। श्री श्री ।। हारीजगच्छे। पूज्य श्री सिंघ(ह)दत्तसूरि तच्छिष्येण उदयसागरेण अवचूर्णिः कृता।। जयकलशेन सूत्रमालिखितम्।। सूत्रद्वयस्वादि। अवचूर्णि जयकुशलेनेव कृता। शुभमस्तु। लेखकपाठकयोः। . उक्त प्रशस्ति से स्पष्ट है कि इसमें हारोजगच्छ के सिंहदत्तसूरि के शिष्य उदयसागर का अवचूर्णि के रचनाकार के रूप में नाम मिलता है। लिपिकार के रूप में इस प्रशस्ति में उल्लिखित जयकलश एवं जयकुशल भी इसी गच्छ से सम्बद्ध प्रतीत होते हैं। इसके अतिरिक्त उक्त प्रशस्ति से ऐसी कोई बात ज्ञात नहीं होती जिससे इस गच्छ के इतिहास पर कुछ विशेष प्रकाश पड़ सके। फिर भी हारीजगच्छ से सम्बद्ध एकमात्र साहित्यिक साक्ष्य होने से इस प्रशस्ति का विशिष्ट महत्त्व है। इस गच्छ से सम्बद्ध कुछ अभिलेखीय साक्ष्य भी मिलते हैं जो वि० सं० १३३० से लेकर वि० सं० १५७७ तक के हैं। इनका विवरण निम्नानुसार है - लेख वि०सं०तिथि-मिति प्रतिष्ठापक प्रतिमालेख/ प्रतिष्ठास्थान संदर्भग्रन्थ आचार्य या स्तम्भलेख मुनि का नाम १: १३३० शीलभद्रसूरि मुनिजिनविजय संपा० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org क्र०
SR No.525024
Book TitleSramana 1995 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1995
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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