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प्रधान संपादक प्रो० सागरमल जैन
सम्पादक डॉ० अशोक कुमार सिंह
सह सम्पादक डॉ शिव प्रसाद
वर्ष ४२
जुलाई-दिसम्बर १९९१
अंक ७-१२
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प्रस्तुत अंक में १. पंचपरमेष्ठि मन्त्र का कर्तृत्व और दशवकालिक
-साध्वी (डॉ०) सुरेखा श्री १ उच्च गर शाखा के उत्पत्ति स्थान एवं उमास्वाति के के जन्मस्थल की पहचान
- -प्रो० सागरमल जैन १७ ३. सूडा सहेली की प्रेम कथा
-भँवरलाल नाहटा २५ ४. जैन सम्मत आत्म स्वरूप का
अन्य भारतीय दर्शनों से तुलनात्मक विवेचन -डॉ० (श्रीमती) कमल पंत ३५ अपभ्रंश के जैन पुराण और पुराणकार
-- रीता विश्नोई ४५ ६. कोटिशिला तीर्थ का भौगोलिक अभिज्ञान
-डॉ० कस्तूरचन्द जैन ५७ ७. उपकेशगच्छ का संक्षिप्त इतिहास
- डा० शिवप्रसाद ६१ ८. जैन जगत ९. साहित्य सत्कार
१८८ वार्षिक शुल्क
एक प्रति चालीस रुपये
बीस रुपये
१८५
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यह आवश्यक नहीं कि लेखक के विचारों से सम्पादक अथवा संस्थान सहमत हो।
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