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________________ ( १९१ ) उनसे सहमत होना या न होना एक भिन्न बात है किन्तु वे पण्डितजी के व्यापक अध्ययन के सूचक अवश्य ही हैं । तत्वार्थ सूत्र के कर्ता, काल, सम्प्रदाय, पाठों की प्रामाणिकता आदि को लेकर अनेक विद्वानों के विचार हमें उपलब्ध होते हैं । इन सबका सम्यक् समालोचन मैंने अपने ग्रन्थ 'यापनीय सम्प्रदाय' और तत्त्वार्थ और उसकी परम्परा में विस्तार से किया है अतः यहाँ उस समग्र चर्चा में जाना समीचीन नहीं है । इच्छुक व्यक्ति उसे वहाँ देख सकते हैं । ग्रन्थ का मुद्रण आफसेट से होने के कारण अत्यन्त नयनाभिराम है । इसके लिए वर्णी संस्थान के मंत्री डा० कमलेश कुमार विशेष रूप से धन्यवाद के पात्र हैं । यद्यपि प्रथम संस्करण में रही हुई प्रूफ सम्बन्धी अशुद्धियों को दूर करने का प्रयास किया गया है किन्तु अब भी कुछ अशुद्धियाँ रह गई हैं जैसे -- अविचार के स्थान पर 'अतीचार' का प्रयोग । यद्यपि दिग० परम्परामान्य मूल पाठ (७/२३) में दीर्घ 'ई' का प्रयोग हुआ है किन्तु हम देखते हैं कि दिगम्बर परम्परा के तत्त्वार्थ सूत्र के प्रथम टीकाकार सर्वार्थसिद्धि के लेखक पूज्यपाद देवनन्दी ने भी अपनी टीका में सर्वत्र ही ह्रस्व 'इ' का ही प्रयोग किया है और यही उचित भी है । प्रस्तुत कृति में भी पृ० २३८ पर हेडिंग के रूप में 'अतिचार' ही लिखा गया है किन्तु बाद में सर्वत्र 'अतीचार' ऐसा प्रयोग किया गया है जो उचित नहीं है । अतः भविष्य में इसे सुधार लेना चाहिए । ग्रन्थ उपयोगी और संग्रहणीय है और ग्रन्थ का द्वितीय संस्करण उपलब्ध कराने के लिये प्रकाशक बधाई के पात्र हैं । डा० सागरमल जैन कथालोक (भक्त-कथा विशेषांक ) :- - सम्पादक : हर्षचन्द्र; प्रकाशक: हर्षचन्द्र, ४०४, कुन्दन भवन, आजादपुर कामर्शियल कॉम्प्लेक्स, दिल्ली; पृष्ठ सं० : १३० ; आकार : डबल क्राउन; मूल्य : १० रु० : संस्करण : वर्ष २३, अंक १-२, १९९१ - श्री हर्षचन्द्र जी विगत कई वर्षो से ' कथालोक' का सम्पादन एवं प्रकाशन बड़ी प्रामाणिकता से कर रहे हैं । प्रस्तुत अंक 'भक्त-कथा विशेषांक' है । इसके अन्तर्गत कालातीत भक्त, राजनीति के कालजयी भक्त, मध्य युगीन गृहस्थ भक्त, सन्त भक्त, भक्ति कहानियाँ, भक्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525007
Book TitleSramana 1991 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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