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मुनिशीलसुन्दर
देवगुप्तसूरि [वि०सं० १५२८-१५५७] प्रतिमालेख वाचक मतिशेखर
सिद्धसूरि [वि०सं० १५६६-१५९६] प्रतिमालेख वि०सं० १५१४/ई० सन् १४५८ में धन्नारास एवं वि०सं० १५३७/ई० सन् १४७१ में मयणरेहारास के कर्ता
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हर्षसमुद्र
उपा० रत्नसमुद्र वाचकविनयसमुद्र
साध्वीरंगलक्ष्मी [वि०सं० १५८३ में आरामशोभाचौपाई] [वि०सं० १५९१ में इनके पठनार्थ एवं [वि०सं० १६०२ में मृगावतीचौपाई] मयणरेहारास की प्रतिलिपि की गयी के कर्ता
कक्कसूरि [वि०सं० १६०२ में।
। रचित मृगावती चौपाई ।
| में उल्लिखित देवगप्तसरि [वि०सं० १६३४
प्रतिमालेख]
श्रमण ; जुलाई-सितम्बर, १९९१
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