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________________ वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य निदान के अनुसार फल होने की संभावना होती है या नहीं, इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए पहले यह जानना जरूरी है कि मन की गहराई में एक व्यक्ति की यदि कोई अभिलाषा या मनोकामना हो तो वह पूर्ण होती है या नहीं? कोई कहेगा कि मैंने पूजा के प्रभाव से बेटा चाहा था और मुझे मिल गया, अत: मेरी मनोकामना पूर्ण हो गई, तो कोई दूसरा यह कह सकता है कि मैंने भी पूजा के प्रभाव से बेटा चाहा था किन्तु बेटा मुझे नहीं मिला यानि मेरी मनोकामना पूर्ण नहीं हुई। इस तरह के दो कथनों के आधार पर कोई नतीजा नहीं निकलता है। वैज्ञानिक अध्ययन यदि हम चाहें तो हमें कई व्यक्ति चुनने होंगे व सम्बंधित व्यक्तियों के नतीजों की तुलना औसत नतीजों से करनी होगी। अमरीका में इंस्टिट्यूट ऑफ नोएटिक साइन्सेस (The Institute of Noetic Sciences)15 इस तरह के वैज्ञानिक प्रयोग करते रहते हैं जिसमें मन का प्रभाव भौतिक परिणामों पर देखा जाता है। बार-बार मन में एक विशेष परिणाम हेतु एक व्यक्ति को कामना करने के लिए कहा जाता है व ऐसी कामना के पूर्व मन को इधर-उधर के संकल्पों-विकल्पों से मुक्त करने के लिए ध्यान (Meditation) कराके मन को अल्फा अवस्था (Alpha State) में लाया जाता है। मन सामान्यतया बीटा-अवस्था (Beta State) में रहता है व विशेष ध्यान द्वारा अल्फा अवस्था में लाया जा सकता है। मस्तिष्क तरंगों की यंत्रों द्वारा माप करके यह ज्ञात किया जा सकता है कि मन अल्फा अवस्था में है या बीटा अवस्था में? ध्यान करने वाले व्यक्ति स्वयं अनुभव कर सकते हैं कि ध्यान करते हुए मन कब चंचल था और कब स्थिर जैसा हो गया। चंचल अवस्था बीटा अवस्था है और अचंचल या अत्यल्प चंचल अवस्था अल्फा अवस्था है। प्रयोगों से यह देखा गया है कि अल्फा अवस्था में आने के पूर्व या अल्फा अवस्था से बाहर आते समय व्यक्ति की जो मनोकामना होती है उसके फलवती होने की संभावना बहुत अधिक होती है। कई दिनों तक एक व्यक्ति एक मनोकामना को लेकर अल्फा अवस्था में जाता है तो उसके पूर्ण होने की संभावना कई गुना हो जाती है। (इस संस्था के रिसर्च परिणामों की जानकारी हेतु इसकी वेबसाइट देखी जा सकती है।) ___ अन्य संस्थाएं भी अल्फा अवस्था का लाभ देख रही है। यदि वेबसाइट www.silvacourse. com को देखें तो यह पंक्ति पाएंगे "The Silva Method is the world's premiere mind development तुलसी प्रज्ञा जुलाई --दिसम्बर, 2006 - -- - 51 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524628
Book TitleTulsi Prajna 2006 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2006
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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