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श्रद्धा की भाषा
श्रद्धा ज्ञान की परिपक्व दशा का नाम है। ज्ञान के अभाव में जो श्रद्धा होती है वह यथार्थ में श्रद्धा नहीं होती, किन्तु एक संस्कारगत रूढ़ि होती है। व्यक्ति में सबसे बड़ा बल श्रद्धा का है। श्रद्धा टूटती है तब पैर थम जाते हैं, वाणी रूक जाती है और शरीर जड़ हो जाता है। श्रद्धा बनती है तब ये सब गतिशील बन जाते हैं।
समस्या के समाधान का सबसे बड़ा सूत्र है श्रद्धा। किसी भी विवाद का अन्त तर्क से नहीं होता, किन्तु श्रद्धा से होता है। श्रद्धा जीवन की सबसे बड़ी सफलता है।
- अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ
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