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प्रश्न उठता है कि स्वप्न में पूर्वाभास या अतीन्द्रिय क्षमता का ज्ञान सबको क्यों नहीं होता? इस प्रश्न का सामाधान वैज्ञानिक शोध का विषय है पर यह कहा जा सकता है कि स्वप्नों के माध्यम से भविष्य का पूर्वाभास अतीत की अनेक महत्त्वपूर्ण घटनाओं का ज्ञान किया जा सकता है। वर्तमान में भविष्य सूचक स्वप्नों पर अनुसंधान एवं वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए विदेशों में अनेक संस्थाएं कार्यरत हैं।
स्वप्न व्यक्ति को भाव जगत् से जोड़कर पूर्वजन्म का आभास भी करा सकते हैं। इटली के फ्लोरेंस नगर के मनश्चिकित्सक डॉ. गेस्टन ने सात-आठ वर्ष की उम्र में स्वप्न में एक मंदिर देखा, जिसके वे पुजारी थे। वैसा मंदिर उन्होंने न किसी चित्र में देखा था
और न ही वास्तविकता में। बड़े होने के बाद वे भारत आए। महाबलीपुरम् का मंदिर देखते ही उन्होंने उस मंदिर को पहचान लिया। वहां उनकी समाधि लग गयी। यह वही मंदिर था, जो उन्होंने स्वप्न में देखा था। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि पिछले जन्म में मैं यहां का पुजारी था। स्वप्नों का प्रभाव
जैन आगमों में स्वप्नों को चित्त समाधि का एक हेतु माना है। कुछ स्वप्न ऐसे आते हैं, जिनसे उलझन सुलझ जाती है और चित्त को समाधान मिल जाता है तथा व्यक्ति का मन प्रसन्न और शरीर हल्का हो जाता है। Sleep एवं Dream के लेखक डॉ. डेविड ने भी स्वीकार किया है कि स्वप्न हमारी भावनात्मक एवं बौद्धिक समस्याओं को समाहित करते हैं। महर्षि पतञ्जलि ने स्वप्न निद्रा ज्ञानालम्बनं वा 18 कहकर स्वप्न के आधार पर चित्त को स्थिर करने का उपदेश दिया है। स्वप्न से एकाग्रता एवं स्थिरता का विकास होता है। अठारहवीं शताब्दी के फ्रांसिसी गणितज्ञ मारक्रिडे कद्रारसेंट हर समस्या को लेकर सो जाते थे। स्वप्न में उन्हें उसका समाधान मिल जाता था। ___डॉ. मारी ने प्रयोगों के माध्यम से यह सिद्ध किया है कि सपने हमारी नींद में दखल न डालकर हमारा उपकार करते हैं। ये हमारे अवचेतन मन के सेफ्टी बाल्व हैं। दिन के व्यस्त कार्यक्रम में उत्पन्न मन के तनाव या भार को बाहर निकालने में ये सुरक्षापूर्ण उपाय हैं।' यदि किसी मनुष्य से स्वप्न देखने की क्षमता छीन ली जाए तो कालान्तर में वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाएगा। ग्रीक के प्रख्यात चिकित्साशास्त्री क्लौडियस गेलन ने स्वीकार किया है कि सर्जरी का सूक्ष्मतम ज्ञान उन्हें स्वप्न में देवता द्वारा कराया गया। मंत्र शास्त्र में ऐसे मंत्रों का उल्लेख मिलता है जिनसे स्वप्न में किसी समस्या का समाधान प्राप्त किया जा सके।
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तुलसी प्रज्ञा अंक 130
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