________________
शिथिल हो जाते हैं, अन्तर्मन भी पूर्ण विश्राम करने लगता है, अतः उस स्थिति में स्वप्न नहीं आते। जब मन कुछ थक जाता है, आंखें बंद हो जाती हैं, बाह्य प्रवृतियां रुक जाती हैं, उस अर्द्धनिद्रित या हल्की नींद की अवस्था में स्वप्न आते हैं, चिंतातुर व्यक्ति को स्वप्न अधिक आते हैं, क्योंकि इस अवस्था में नींद अच्छी नहीं आती। कोट्याचार्य के अनुसार स्वप्न में मानसिक क्रिया चलती रहती हैं।" डॉ. क्लीटमा ने परीक्षण करके यह सिद्ध किया है कि जब व्यक्ति सपने देखता है, तब वह आधी नींद में रहता है । उस समय मस्तिष्क की तरंगें जागृत मनुष्य की तरह ही होती हैं ।
आयुर्वेद के ग्रंथ के अनुसार जब इंद्रियां अपने विषय से निवृत्त हो जाती हैं, मन शब्दादि विषयों में लीन रहता है, उस समय मनुष्य स्वप्न देखता है। 7 बौद्ध दर्शन के अनुसार बाहरी उत्तेजनाओं, आंतरिक व्याधियों, अचेतन संस्कारों और पुरानी आदतों आदि के कारण स्वप्न आते हैं। शिकागो विश्वविद्यालय के शरीरशास्त्री क्लीटमा ने परीक्षण से सिद्ध किया कि जब नींद रैपिड आई मूवमेंट होती है, तब व्यक्ति स्वप्न देखता है। यूरोप और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने खोज के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि आदमी रात भर में सात-आठ घंटे की नींद के दौरान 5 से 7 तक सपने देखता है । स्वप्न क्यों ?
जैन दर्शन के अनुसार स्वप्न का मूल कारण दर्शन मोहनीय कर्म का उदय है। मनोवैज्ञानिकों ने स्वप्न आने के कारणों की अपने-अपने ढंग से व्याख्या की है । प्रायः मनोवैज्ञानिकों ने एक स्वर से इस बात को स्वीकृत किया है कि स्वप्न आने का प्रमुख कारण है मन का अन्तर्द्वन्द्व एवं इच्छाओं का दमन । जैन आचार्यों के अनुसार प्रकृतिगत विकार एवं देवता के अनुभाव से दृष्ट, विचारित पदार्थ स्वप्न में दिखाई देते हैं । आयुर्वेद के ग्रंथों में स्वप्न आने का मुख्य कारण हैं- शरीर में वात, पित्त एवं कफ आदि प्रकृतियों का असंतुलन ।
एडलर ने आत्म गौरव की वृत्ति का संतुष्ट न होना स्वप्न का कारण माना है। मैक्डूगल के अनुसार किसी भी मूल प्रवृत्ति का दमन या उनका परस्पर संघर्ष स्वप्न का कारण है । फ्रायड ने अतृप्त एवं दमित यौनेच्छा को स्वप्न का कारण माना है । फ्रांस के प्रख्यात शोधकर्त्ता डॉ. ऐंड्रमारी ने भी प्रयोग से इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने एक आदमी को रात में सोने से पूर्व नमक की गिरियां खिलाईं। नमक खाने से उसे पानी पीने की अपेक्षा हुई। सपने में उसने पानी पी लिया और उसकी प्यास बुझ गई ।
वैज्ञानिकों के अनुसार मस्तिष्क के आसपास लगभग 16 करोड़ शिराओं से मिलकर
तुलसी प्रज्ञा जनवरी-मार्च, 2006
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
31
www.jainelibrary.org