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विद्यमान ऑक्सीजन बल्ब के अन्दर जलाने की क्रिया के लिए उत्तरदायी है, गलत होगा। सबसे पहले तो यह स्वीकार करना होगा कि बल्ब हमेशा शून्यावकाश (निर्वात) हो ही, यह जरूरी नहीं। पहले भी बताया जा चुका है कि नाईट्रोजन, आर्गेन आदि निष्क्रिय वायु को बल्ब में इसलिए डाला जाता है कि ऑक्सीजन पूर्ण मात्रा में समाप्त हो जाए और आक्सीडेशन न हो। इस प्रकार यहाँ निर्वात करने की अपेक्षा ही नहीं है। निष्क्रिय वायु में बल्ब अच्छी तरह प्रकाशित होता है।
टंगस्टन का वाष्पीकरण उष्या से पिघलने के कारण होता है, न कि उसके जलने के कारण । जहाँ बल्ब में निर्वात नहीं किया जाता वहाँ निष्क्रिय वायु भरी जाती है जिससे जलने की क्रिया न हो। फिर भी यह मानना कि वहाँ जैसे-तैसे ऑक्सीजन घुस जाती है, किसी को कैसे मान्य होगा?
__ शास्त्रों में सुषिर' में वायु का प्रवेश लिखा है परन्तु जहाँ पहले से वायु हो वहाँ दूसरी वायु कैसे घुसेगी? जितने भी गैस-फील्ड बल्ब है, उसमें बाहर से ऑक्सीजन का प्रवेश होने का कोई अवकाश ही नहीं है। भीतर वाली गैसें निष्क्रिय हैं। इसीलिए फिलामेंट का वाष्पीकरण रुकता है तथा फिलामेंट यथावत् सुरक्षित रहता है।
शून्यावकाश की जैन अवधारणा विज्ञान की अवधारणा से भिन्न है । वस्तुतः समूचे लोक में जीव और पुद्गल ढूंस-ठूस कर भरे हुए हैं। किन्तु ये सारे व्यवहार की प्रकियाओं को बाधित या प्रभावित नहीं करते। विज्ञान के अनुसार निर्वातीकरण होने से जो स्थान हवा रहित हो जाता है, वह निर्वात कहलाता है। हवा में ऑक्सीजन की विद्यमानता स्वाभाविकतया होती है। इसलिए निर्वात स्थान में ऑक्सीजन भी नहीं रहता। यदि बहुत थोड़ी मात्रा में रह भी जाता है तो उसे अन्य उपायों से निरस्त कर दिया जाता है।
प्रश्न - 8- जोसेफ प्रिस्टली (Joseph Priestley) नाम के वैज्ञानिक ने १७७४ में ऑक्सीजन की शोध की। श्वासोच्छ्वास तथा दहन क्रिया के लिए ऑक्सीजन अनिवार्य है, ऐसी विज्ञान की पुरानी मान्यता को याद करके कितने ही विद्वान् कहते हैं कि 'बल्ब में ऑक्सीजन नहीं होने से वह कैसे प्रकाशित हो सकता है?' किन्तु यह तर्क भी बराबर नहीं है, क्योंकि प्राचीन विज्ञान दहन-क्रिया में ऑक्सीजन को अनिवार्य मानता है, बल्ब में होने वाले प्रकाश-गरमी वगैरह में नहीं।
हाँ, आधुनिक साइन्स के सिद्धान्त के अनुसार प्रस्तुत सन्दर्भ में एक बात याद रखने जैसी है कि 'ऑक्सीजन के बिना आग नहीं लग सकती, दहन क्रिया नहीं हो सकती', ऐसा कोई नियम नहीं है। ऑक्सीजन नहीं होने पर भी क्लोरिन वायु में हाईड्रोजन जलता है।
"Info Please encyclopedia' में बताया गया है कि "Combustion need
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तुलसी प्रज्ञा अंक 123
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