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________________ आदि गैस 'इनर्ट' (निष्क्रिय) होने से इनके द्वारा अग्नि नहीं जलती। हवा में ये सारी गैसें लगभग 80 प्रतिशत तथा ऑक्सीजन 20 प्रतिशत है। किन्तु अग्नि में उपयोगी तो केवल ऑक्सीजन ही है। यदि किसी बर्तन या बल्ब आदि में ऑक्सीजन नहीं होती और इनमें से कोई वायु भर दी जाती है, तो उसमें अग्नि नहीं जल सकती। (यद्यपि अपवाद रूप में क्लोरीन या फ्लोरीन गैस में भी हाइड्रोजन आदि पदार्थों द्वारा विशेष रासायनिक क्रिया के परिणामस्वरूप ज्वलनक्रिया हो सकती है पर क्लोरीन, फ्लोरीन अथवा ऑक्सीजन की मौजूदगी के बिना अग्नि जलना संभव नहीं है।) निष्क्रिय गैसों में ऑक्सीजन के अभाव में तो अग्नि कभी नहीं जल सकती। इलेक्ट्रीक बल्ब में निष्क्रिय गैस भरी जाती है या शून्यावकाश रखा जाता है। इसलिए उसके अन्दर ऑक्सीजन के अभाव तथा ज्वलनशील पदार्थ के अभाव के कारण अग्नि जलने की क्रिया नहीं हो सकती। बल्ब में टंगस्टन धातु गरम होने पर भी जलती नहीं है। नाइट्रोजन आदि निष्क्रिय गैसें इसलिए बल्ब में भरी जाती हैं। इस विषय की विस्तृत चर्चा "बल्ब की प्रक्रिया' विषय के अन्तर्गत की जाएगी। क्लोरीन-फ्लोरीन के अपवाद को छोड़कर कहीं भी ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी प्रकार की अग्नि जलने की क्रिया को किसी ने अनुभव नहीं किया है। इसलिए यह व्याप्ति बन जाती है। जहां-जहां ऑक्सीजन का अभाव है वहां-वहां अग्नि का अभाव है। डॉ. जे. जैन ने एक प्रश्न की चर्चा की है - "क्या 'अग्नि' में ऑक्सीजन के साथ एक स्वपोषी रासायनिक प्रक्रिया होना ही काफी है या उस प्रक्रिया से आग से सचित्त तेउकाय पैदा करने में या 'ताप' के साथ-साथ 'प्रकाश' का पैदा होना भी जरूरी शर्त है ? यानी सचित्त अग्नि का मापदण्ड क्या है ?" ऐसी स्वपोषी रासायनिक क्रियाएं बहुत सी हैं जिनमें ताप पैदा होता है लेकिन दृश्यप्रकाश पैदा नहीं होता है। क्या उनको सचित्त कहा जाये ? __ 1. थर्मिट प्रक्रिया को आग की श्रेणी में रखना होगा, क्योंकि उसमें ताप के साथ 'प्रकाश' भी पैदा होता है। 2. क्लोरोफिल प्रकाश के साथ रासायनिक क्रिया करके हवा की CO, से कार्बन व ऑक्सीजन बनाता है। लेकिन 'प्रकाश' पैदा नहीं करता है, अतः अचित्त है। 3. Cao (चूने) के पानी के साथ रासायनिक क्रिया करने से 'ताप' पैदा होता है, लेकिन प्रकाश पैदा नहीं होता है। ब्लीचिंग पाउडर भी इसी श्रेणी में आता है। (यह 'सचित्त अग्नि' नहीं है।) 4. स्वपोषी क्रिया (Self-Sustaining) का मतलब क्या है? यदि प्रक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों की आपूर्ति बराबर बनी रहे तथा उनमें एक बार प्रक्रिया शुरू हुई तो फिर चलती रहेगी यानि 'प्रक्रिया शुरू करने के लिए उनका आपस में मिला रहना (जैसे इंधन हवा में 36 - - तुलसी प्रज्ञा अंक 122 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524617
Book TitleTulsi Prajna 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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