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________________ 32. राजस्थान पत्रिका (जयपुर) (दैनिक), 22 दिसम्बर, 2002, रविवारीय परिशिष्ट - कैलाश जैन द्वारा लिखित लेख वंडर विद्युत।'"वैज्ञानिक इन्सान के शरीर में उत्पन्न होने वाली रहस्यमय जैविक बिजली की अभी तक कोई स्पष्ट व्याख्या नहीं कर पाए हैं। प्रकृति की हर वस्तु के अन्दर विद्यत आवेश होता है। यह बड़ी सामान्य बात है, लेकिन अक्सर यह गुण बड़े ही गैरमामूली तरीके से सामने आता है। इससे जुड़ी घटनाएं आए दिन सुनने को मिलती है। कनाडा के एक शहर में रहने वाली महिला केरोसीन ब्लेयर एक दिन गंभीर रूप से बीमार पड़ गई। ईलाज के बावजूद उसकी हालात बिगड़ती गई। वह करीब डेढ़ साल तक गम्भीर बीमार रही और बिस्तर पर ही पड़ी रही। एक दिन अपने पलंग के पास पड़ी लोहे की कुर्सी से छू गया। कुर्सी से छूते ही कुर्सी में विद्युत् आ गई। उसके परिवार वालों ने बड़ी मुश्किल से उसे छुड़ाया फिर के बस सिलसिला ही शुरू हो गया। जैसे ही केरोसीन किसी धातु की वस्तु को छूती, वैसे ही उससे चिपक जाती। जांच के बाद पता चला कि केरोसीन के शरीर में विद्युत् प्रवाह होता रहता था। मजे की बात यह थी कि जिस दिन से उसके शरीर की बिजली गायब हुई वह पुन: बीमार पड़ गई। एक अन्य घटना लंदन की है। लंदन के स्नायुरोग विशेषज्ञ डॉक्टर जॉन एस. क्राफ्ट को बताया गया कि लंदन में जैनी गर्गन नाम की एक महिला के शरीर में बिजली का करंट आता है। डॉक्टर को यकीन नहीं हुआ और उन्होंने उस युवती के परीक्षण का निश्चय किया। जैनी के घर पहुंच कर उन्होंने उससे हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया। जैनी इससे बचना चाहती थी। फिर भी रोकते रोकते डॉ. जॉन का हाथ जैनी के हाथ से छू गया। डॉक्टर साहब एक जोरदार झटका खाकर धड़ाम से दूर जा गिरे। होश में आने के बाद डॉक्टर जॉन ने माना कि जैनी के शरीर में हजारों वोल्ट की विद्युत शक्ति है। एक दिन जैनी अपने मकान के बाहर खड़ी थी कि एक ताला बेचने वाला वहां से गुजरा। जैनी के मना करने के बावजूद उसने एक ताला दिखाने के लिए जैनी की हथेली पर रख दिया। उसके बाद क्या हुआ, यह जानने के लिए वह बेचारा होश में नहीं था। बड़ी मुश्किल से उसे बचाया जा सका। जैनी के परिवार वालों ने उसके शरीर में हो रहे विद्युत् प्रवाह को रोकने के लिए उसे कई डॉक्टरों को दिखाया। वैज्ञानिकों ने भी उसके शरीर में प्रवाहित हो रही बिजली को रोकने की कोशिश की लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इसी तरह अमरीका की एक 14 वर्षीय किशोरी लुलू हर्ट के शरीर में विद्युत् प्रवाह से विचित्र प्रतिक्रियाएं होने लगी। लुलू किसी धातु की वस्तु को छूती, तो उसमें से चिंगारियां निकलने लगती। उसके सामने पड़े चीनी मिट्टी और कांच के बर्तन अपने आप टूट कर टुकड़े-टुकड़े हो जाते। एक बार लुलू के घर मेहमान आए। वह मेहमानों के लिए कुर्सी लेने गई। जैसे ही उसने कुर्सी को हाथ लगाया, कुर्सी एकदम उछल गई। इस प्रकार की घटनाओं से ऐसा लगता था कि लुलू के शरीर में अपार शक्ति समा गई हो। लुलू के माता-पिता ने उसकी इस विलक्षणता का व्यावसायिक इस्तेमाल किया। उन्होंने लुलू की इन विचित्र खासियतों को तमाशा लगाकर पैसा तुलसी प्रज्ञा अप्रेल-सितम्बर, 2003 0 - 71 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524615
Book TitleTulsi Prajna 2003 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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