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संक्षेप में कहा जाए तो हमारी दुनिया एक प्रकार के विद्युत्-चुम्बकीय तरंगों की दुनिया है, जिसमें विद्युत् चुम्बकीय ऊर्जा अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य करती है। इन विद्युत् चुम्बकीय तरंगों के साथ हम सब किसी-न-किसी रूप में संलग्न हैं। इन तरंगों से हम प्रतिक्षण प्रभावित हुए बिना नहीं रहते।
उन्नीसवीं शताब्दी में मैक्सवेल ने विद्युत् और चुम्बकत्व के नियमों को गणित के समीकरणों के रूप में प्रस्तुत कर दिया। इन नियमों में गोस का नियम, एम्पीयर का नियम, फराडे का नियम तथा चुम्बकीय-बल-रेखाओं (lines of force) द्वारा रचित बंध सर्किट जैसे तथ्यों का समावेश होता है।
___ विद्युत्-चुम्बकीय-ऊर्जा (electro-magnetic energy) और विद्युत्-चुम्बकीयतरंगों (electro-magnetic waves) के स्वरूप से स्पष्ट होता है कि इलेक्ट्रीसीटी या विद्युत् स्वयं "पौद्गलिक" परिणमन है। जैसे उष्मा, प्रकाश, ध्वनि और चुम्बकत्व की ऊर्जा अपने आप में अचित्त पौद्गलिक ऊर्जा है, वैसे ही विद्युत्-चुम्बकीय ऊर्जा भी अपने आप में अचित्त पौद्गलिक परिणमन ही है। इसमें कहीं भी सचित्त तेउकाय या अन्य कोई जीव की उत्पत्ति होना संभव नहीं है। वैसे, प्रकाश भी स्वयं विद्युत्-चुम्बकीय ऊर्जा का ही रूप है ।। सारे दृश्य रंग इसी ऊर्जा के भिन्न-भिन्न तरंग-दैर्ध्य और कम्पन-आवृत्ति (frequency) वाली तरंगें हैं।
___ मैक्सवेल के विद्युत्-चुम्बकीयवाद की स्थापना के 32 वर्षों पश्चात् वैज्ञानिक हझ (Hertz) ने प्रयोगशाला में विद्युत्-चुम्बकीय तरंगों के अस्तित्व को प्रमाणित कर दिया था। मुख्य रूप से विद्युत्-चुम्बकीय तरंगों की लाक्षणिकता इस प्रकार है
1. उद्गम स्थान से सुदूर क्षेत्र तक विद्युत्-क्षेत्र (electric-filed) और चुम्बकीयक्षेत्र के वेक्टर के दोलन समान कला वाले होते हैं।
2. विद्युत्-क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र की दिशाएँ तरंग-प्रसरण-दिशा के तल से लम्बकोण वाले तथा परस्पर भी लम्ब-कोण वाले तल में प्रसारित होते हैं।
3. ये तरंगें अयांत्रिक और लंब-तरंगों के रूप में होती हैं।
4. सभी विद्युत्-चुम्बकीय तरंगों का वेग शून्यावकाश में अचलांक "सी" (C) द्वारा निर्दिष्ट है, जिसका मूल्य (3 x 108) मीटर/प्रति सैकण्ड होता है अथवा 3 लाख किलोमीटर प्रति सैकिण्ड माना गया है।
5. किसी भी माध्यम में उसका वेग माध्यम के विद्युत्-चुम्बकीय गुणधर्मों पर आधारित होता है।
भिन्न-भिन्न तरंग-दैर्ध्य (wave-length) वाली विद्युत्-चुम्बकीय तरंगों का वर्णपट उनकी तरंग-दैर्ध्य के आधार पर निर्मित है। 10 मीटर से लेकर 105 मीटर तक की तरंग
तुलसी प्रज्ञा अप्रेल-सितम्बर, 2003 0
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