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375164 furcht/CONTENTS
हिन्दी खण्ड
विषय
लेखक
समणी मंगलप्रज्ञा डॉ. अनेकान्त कुमार जैन डॉ. अशोक कुमार जैन
पुद्गलास्तिकाय एक विमर्श अनयोगद्वार सूत्र में नय विवेचना जैन कर्म सिद्धान्त में अनेकान्त प्राकृत कथा साहित्य : उद्भव, विकास एवं व्यापकता आत्म-समाधि और वैयावृत्त्य उत्तराध्ययन और गीता में समानता जलों की महत्ता एवं संरक्षण वैदिक अवधारणा ध्यान का स्वरूप एवं महत्त्व तत्त्वार्थ सूत्र में
डॉ. जिनेन्द्र जैन साध्वी मुदितयशा पं. विश्वनाथ मिश्र
डॉ. नन्दिता सिंघवी
डॉ. विनोद कुमार पाण्डेय
अंग्रेजी खण्ड
Subject
Author
Page
Ācārānga-Bhāsyam
Ācārya Mahāprajña
77
Jain System of Education
94
Prof. D.N. Bhargava Dr. B.R. Dugar
Courtesans in Jain Literature
Dr. Anil Dhar
106
Jain Education International
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