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________________ विमात्रस्निग्धरुक्ष का अन्तर्भाव तो पहले दो हेतुओं में ही हो जाता है, फिर उसका पृथक् उल्लेख क्यों किया गया, यह विमर्शनीय है। संभवतः ऐसा लगता है प्रथम दो हेतु सदृश बंध के नियम को प्रस्तुत करते हैं एवं तीसरा विसदृश बंध का हेतु प्रतीत होता है। समगुण स्निग्ध का समगुण स्निग्ध परमाणु के साथ बंध नहीं होता तथा इसी प्रकार समगुण रुक्ष परमाणु का समगुणरुक्ष के साथ बंध नहीं होता। स्निग्धता और रुक्षता की मात्रा विषम होती है तब परमाणुओं का परस्पर बंध होता है। प्रज्ञापना में विसदृश और सदृश दोनों प्रकार के बंधनों का निर्देश है।" स्निग्ध परमाणुओं का स्निग्ध परमाणुओं के साथ तथा रुक्ष परमाणुओं का रुक्ष परमाणुओं के साथ सम्बन्ध दो अथवा उनसे अधिक गुणों का अन्तर मिलने पर होता है। उनका समान गुण वाले अथवा एक गुण अधिक वाले परमाणु के साथ सम्बन्ध नहीं होता है। स्निग्ध का दो गुण अधिक स्निग्ध के साथ बंध होता है। रुक्ष का दो गुण अधिक रुक्ष के साथ बंध होता है। यह सदृश बंध की प्रक्रिया है। विसदृश बंध के नियम के अनुसार एक गुण स्निग्ध का एक गुण रुक्ष के साथ बंध नहीं होता। द्विगुण स्निग्ध का द्विगुण रुक्ष के साथ सम्बन्ध हो सकता है। वह समगुण का बंध है। द्विगुण स्निग्ध का त्रिगुण, चतुर्गुण आदि के साथ सम्बन्ध होता है। वह विषम गुण का बंध है। विसदृश सम्बन्ध में सम का सम्बन्ध और विषम का सम्बन्ध-ये दोनों नियम मान्य हैं। "आगम साहित्य में सृष्टिवाद" नामक लेख में आचार्य महाप्रज्ञ ने पुद्गल के बंध की प्रक्रिया का विस्तार एवं तुलनात्मक विमर्श किया है। प्रासंगिक होने के कारण उन चार्ट्स का यहां पर यथावत् संग्रहण कर रहे हैं - प्रज्ञापना-पदप्रज्ञापना-पद, उत्तराध्ययन चूर्णि और भगवती जोड़ के अनुसार स्वीकृत यंत्रक्रमांक गुणांक सदृश विसदृश जघन्य + जघन्य नहीं नहीं जघन्य + एकाधिक जघन्य + द्वयधिक जघन्य + त्र्यादिअधिक जघन्येतर + समजघन्येतर जघन्येतर + एकाधिकतर जघन्येतर + द्वयधिकतर जघन्येतर + त्र्यादिअधिकतर नहीं नहीं - ल Foo | । 12 - - तुलसी प्रज्ञा अंक 119 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524614
Book TitleTulsi Prajna 2003 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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