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________________ विज्ञान प्रचलित अवधारणा सम्यक् अवधारणा १. देश और काल की सत्ता पृथक्-पृथक् १. देश और काल दोनों मिलकर एक युति बनाते हैं। २. काल सर्वत्र एक जैसा है। २. काल की लम्बाई गति-सापेक्ष है। ३. पदार्थ की लम्बाई, चौडाई सब स्थितियों ३. पदार्थ की लम्बाई, चौडाई पदार्थ की में एक ही रहती है। गति के साथ बदल जाती है। ४. हमें पदार्थ के स्वरूप को तर्क के अनुसार ४. हमें अपने तर्क को पदार्थ के स्वरूपानुसार ढालना चाहिए। ढालना चाहिए। ५. पदार्थ का द्रव्यमान सदा एक रहता है। ५. पदार्थ का द्रव्यमान गति के साथ बढ़ता ६. काल की दृष्टि से जो एक के लिए पूर्व ६. काल की दृष्टि से जो एक के लिए पूर्व (पहले) है वह सबके लिए पूर्व है। है वह दूसरों के लिए युगपत् है। ७. दो परस्पर विरोधी तथ्यों में एक ही ७. स्थूल स्तर पर न्यूटन के सिद्धान्त सत्य है सत्य हो सकता है। और सूक्ष्मस्तर पर आइंस्टीन के सिद्धान्त सत्य है, यद्यपि वे दोनों परस्पर विरोधी हैं। ८. सत्य द्वंद्वात्मक है। ८. एक द्वंद्वातीत सत्य भी है। ९. एक वक्तव्य या तो सत्य होता है या ९. कोई भी वक्तव्य सम्यक् परिप्रेक्ष्य में सत्य असत्य। होता है और मिथ्या परिप्रेक्ष्य में असत्य। शिक्षा प्रचलित अवधारणा सम्यक् अवधारणा १. वर्तमान शिक्षा सर्वोत्तम है। १. वर्तमान शिक्षा से बौद्धिक विकास होता है किन्तु भावनाएं परिष्कृत नहीं होती। २. अध्ययन द्वारा व्यक्तित्व का निर्माण किया २. व्यक्तित्व के निमार्ण के लिए कुछ प्रयोगों जा सकता है। का अभ्यास करना भी आवश्यक है। ये प्रयोग ही योग कहलाते हैं। 12 - - तुलसी प्रज्ञा अंक 118 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524613
Book TitleTulsi Prajna 2002 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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