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________________ उच्च शिक्षा में मूल्यों के उन्नयन हेतु एक कार्यशाला का आयोजन अहिंसा एवं शांति अध्ययन विभाग द्वारा 15-16 मई को श्रीडूंगरगढ़ में हुआ । यह कार्यशाला अक्षय तृतीया प्रवास व्यवस्था समिति द्वारा प्रायोजित थी । कार्यशाला में डॉ. ललित किशोर, पूर्व निदेशक, लोक जुम्बिश, रमेश थानवी, सुरेश पंडित, प्रो. महावीरराज गेलड़ा, प्रो. नलिन शास्त्री, डॉ. राधाकृष्णन, उच्च-अध्ययन संस्थान के एम. एल. जांगिड़, एस. जी. शर्मा, डॉ. सम्पत जैन, आई.आई.टी. दिल्ली के डॉ. संजीव जैन, प्रो. डी. आचार्य सहित संस्थान एवं देशभर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया । कार्यशाला में यह चिन्तन हुआ कि शिक्षा और जीवन को अलग नहीं करें। ऐसी शिक्ष अपेक्षित है जो जीवन से जुड़े। शैक्षणिक संस्थाओं का आपस में अलगाव तथा व्यक्ति जीवन और उसके आंतरिक चेतन से अलगाव उच्च शिक्षा के ज्वलंत मुद्दे हैं। इसके लिए सहयोग, परस्परता, परस्पर आदर, विविधता का आदर, स्व विकास, स्वयं में एवं परिवेश शांति के मूल्य अपेक्षित हैं। इन मूल्यों के संकट के अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा, अवसरवादिता, स्वार्थ, ज्ञान में हिस्सेदारी का अभाव, बहिर्मुखता, गर्व आदि प्रतीक हैं। संकट का कारण अप्रासंगिक पाठ्क्रम शिक्षा विरोधी प्रशासन, उबाऊ शिक्षण पद्धतियां, जागरूकता का अभाव आदि घटक हैं। मूल्यों के उन्नयन के लिए अभिभावक और शिक्षक के बीच केन्द्रीय अर्थपूर्ण संवाद, संकट से जुझने के लिए स्वयं को तैयार करना, संबंधों का विकास स्वयं सीखना आदि आवश्यक है । मूल्यों के विकास के लिए स्वाध्याय, समूह निर्णयों में सहभागिता, समूह शिक्षणशिविर, योग एवं ध्यान पर आधारित प्रयोग आदि - प्रविधियों का निर्माण आवश्यक हैं। ऐसे प्रयत्नों से विद्यार्थियों में मूलभूत परिवर्तन दृष्टव्य होंगे। जैसे- वे नियमित होंगे, सामाजिक एवं प्राकृतिक संकटों से जूझने की क्षमता वाले होंगे। सहयोग की प्रवृत्ति बढ़ेगी । कक्षाओं एवं पुस्तकालय में अधिक उपस्थिति होगी। शिकायतें कम होंगी। स्वतः शिक्षण, सृजनशीलता, नम्रता और संवेगशीलता का विकास होगा। कार्यशाला का उद्देश्य मूल्यों के उन्नयन हेतु प्रयोग विधि पर विचार कर सर्वसम्मति प्राप्त करना था। कार्यशाला इस उद्देश्य की पूर्ति में सफल रही। संगोष्ठी एवं कार्यशाला दोनों कार्यक्रमों का सफल संयोजन डॉ. बच्छराज दूगड़ ने किया । 122 Jain Education International For Private & Personal Use Only तुलसी प्रज्ञा अंक 111-112 www.jainelibrary.org
SR No.524606
Book TitleTulsi Prajna 2001 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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