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________________ इस प्रकार भगवान् पार्श्व के वैयक्तिक जीवन के संदर्भ में कुछ विचारणीय बिन्दुओं को प्रश्न के रूप में ही यहाँ रखा गया है, जिनका समाधान ढूंढ़ना स्वतंत्र रूप से शोध का विषय हो सकता है। संदर्भ-सूची 1. (क)समवायाङ्ग 250/24 (ख) इहेव जम्बूद्दीवे भारहे वासे वाराणसीए णयरीए---कल्पसूत्र, 149 (ग) उत्तरपुराण (गुणभद्राचार्य) 73/75 (घ) पद्मपुराण (रविषेण) 20/59 (ङ) पासणाहचरिउ (पद्मकीर्ति) 8/1 2. (क)ठाणं-सूत्र, 10 (ख) निशीथसूत्र, 9/19 (ग) दीर्घनिकाय, महापरिनिव्वाण में चम्पा, राजगृह, श्रावस्ति, साकेत, कौशाम्बी और वाराणसी का नाम मिलता है। 3. भगवान् महावीर का जन्म ई.पू. 599 में हुआ था तथा भगवान् महावीर से 250 वर्ष पूर्व पार्श्व हुए, इस संदर्भ के आधार पर (ई.पू. 599 + 250 वर्ष) ई.पू. 849 वर्ष में पार्श्व का जन्म होना स्वीकार किया जाता है। 4. (क) नभ्यन्तरे खपञ्चस्वराग्न्यष्टमितवत्सरे। प्रान्ते हन्ता कृतान्तस्य तदभ्यन्तरजीवितः।।-उत्तरपुराण 73/93 (ख) पद्मपुराण, 20/89-90 5. पण्णासाधियछस्सयचुलसी-दिसहस्स-वस्सपरिवत्ते। नेमिजिणुप्पत्तीदो उप्पत्ती पासणाहस्स ।। - तिलोयपण्णत्ती, 4/576 6. (क) उत्तरपुराण, 73/94 (ख) पद्मपुराण, 20/122 7. कल्पसूत्र, 151 8. चउप्पनमहापुरिसचरियं, पृ. 258 9. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितं, पर्व 9/स. 3 10. सिरिपासणाहचरियं (देवभद्र)- 3/140 11. तिलोयपण्णत्ती- 4/548 12. उत्तरपुराण, 73/90 (अनिलयोगे) 13. पद्मपुराण-20/59 14. आवश्यकनियुक्ति, 1091 15. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितं, 9/3/471 16. पासोवसप्पिणं सुमिणयम्मि सप्पं पलोइत्था—सिरिपासणाहचरियं, गाथा 11, प्र. 3 17. जन्माभिषेक कल्याण पूजानिवृत्यनन्तरम् । पार्वाभिधानं कृत्वास्य पितृभ्यां तं समर्पयन् ।। उत्तरपुराण, 73/92 18. अळंगु करिवि बालहो पणाउ, सइँ सुखइ पासु थवेवि णाउ । -पासणाहचरिउ, 8/23 19. (क) समवायाङ्ग, 157 राया य आससेणे य, सिद्धत्थच्चिय खत्तिए । (ख) आससेणस्स रन्नो वम्माए देवीए-कल्पसूत्र, 149 momsonam तुलसी प्रज्ञा अंक 110 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524605
Book TitleTulsi Prajna 2000 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanta Jain, Jagatram Bhattacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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