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अनुक्रमणिका/Contents
विषय
लेखक
पृष्ठ संख्या
1. सम्पादकीय
डॉ. शान्ता जैन 2. जरूरी है दर्शन की सीमा का विस्तार आचार्य महाप्रज्ञ 3. हेमचन्द्र के प्राकृत-व्याकरण के अपभ्रंश
उदाहरण-पद्यों के भाषान्तर का पुनरीक्षण रामप्रकाश पोद्दार 4. अनेकान्त का आध्यात्मिक पक्ष डॉ. संगीता मेहता
स्याद्वादमंजरी के परिप्रेक्ष्य में 5. ऋषभायण में राज्य-व्यवस्था समणी मंगलप्रज्ञा 6. जैन दर्शन में चेतना के विकास मुनि मदन कुमार
की अवधारणा 7. श्रावकाचार की सामाजिक उपयोगिता डॉ. अशोक कुमार जैन 8. सर्वसार उपनिषद्... पद्यानुवाद गोपाल भारद्वाज 9. जैन ग्रन्थों में वर्णित भगवान पार्श्व के डॉ. जिनेन्द्र जैन
कतिपय विचारणीय प्रसंग 10. भारतीय न्यायशास्त्र में अवयव-विमर्श डॉ. प्रद्युम्नशाह 11. पाण्डुलिपि विवेकमञ्जरी प्रकरण प्रमोद कुमार लाटा
एक अध्ययन 12. पंचाणुव्रतों में शिक्षा मूल्य और प्राचार्य निहालचन्द जैन
सामयिक सन्दर्भ 13. Protection of the Environment: Prof. B.C. Lodha
A Jain Perspective 14. Higher Education as a Means of Prof. Musafir Singh
Social Change & Development of
Scientific Temper 15. Human slow-wave sleep and the Dr. J.P.N. Mishra
cerebral cortex of the brain 16. Concept of Soul in Jainism
Sadhvi Vishrut Vibha 17. The Problem of Crime and
Dr. Anil Dhar Punishment: A Humanistic Approach
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