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" समाज का मूल व्यक्ति है और व्यक्ति का मूल चैतन्य । चैतन्य की पवित्रता से व्यक्ति और व्यक्ति की पवित्रता से समाज पवित्र बनता है । पवित्रता का आचरण वैयक्तिक होता है और उसका मूल्यांकन सामाजिक ।"
- अनुशास्ता आचार्य
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ :
श्री तोलाराम हंसराज चेरिटेबल ट्रस्ट
C/o हंसा गेस्ट हाउस
आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के पास
नोखा रोड
पो. गंगाशहर, जिला बीकानेर (राज.) फोन : 272264
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महाप्रज्ञ
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