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तुलसी प्रज्ञा अंक 108 कथनीय शेष
3.1 कुछ टीकाकारों/सम्पादकों के नाम छूट गए हों, ऐसा लेखक के उपागम में नहीं होने से, हो सकता है।
3.2 पं. पन्नालाल सोनी के अनुसार चामुण्डराय, अभयचन्द्र, केशववर्णी और नेमिचन्द्र की टीकाएँ मुख्य हैं।
3.3 आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती विविध प्रतिभाओं के धनी थे। अतएव उन्हें जैव वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, साफ्टवेयर विशेषज्ञ आदि के रूप में भी पहचाना जा सकता है।
3.4 इनके ग्रंथों पर टीका लिखने या संपादन करने वालों में शिष्य, पंडित, शास्त्री, ब्रह्मचारी, आचार्य, मुनि, आर्यिका, वकील, बैरिस्टर, न्यायाधीश, प्राध्यापक, गणितज्ञ, योद्धा आदि सम्मिलित हैं।
कृतज्ञता ज्ञापन- इस आलेख के प्रणयन में प्रदत्त मार्गदर्शन हेतु लेखक डा. अनुपम जैन, सहायक प्राध्यापक (गणित) शा. होलकर स्वशासी विज्ञान महाविद्यालय, इन्दौर और प्रदत्त सहयोग हेतु कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर का आभारी है।
व्याख्याता-गणित जवाहरलाल नेहरू शास. आदर्श उ.मा. विद्यालय,
बड़वानी (म.प्र.)
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प्रज्ञा अंक 108
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