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________________ संदर्भ १. पटनी सोहनलाल, हस्तिकुण्डी का इतिहास, पृ० ।, सोमानी आर० वी, जैन इन्स्किप्शंस ऑव राजस्थान, पृ. १०५-१०६ २. कील हार्न, जर्नल ऑव द एशियाटिक सोसाइटी ऑव बंगाल ६२, खण्ड प्रथम सं. ४ पृ. ३०९-३१४ मुनि जिन विजय, प्राचीन जैन लेख संग्रह, २ पृ.१७५१८५, नाहर, पूरण चन्द, जैन लेख-संग्रह, खण्ड प्रथम, सं. ८९८ पृ. ६८, ११८-१२०, खण्ड प्रथम, पृ० २३३-२३८, सुखवीर सिंह, गहलोत, सोहन कृष्ण पुरोहित एवं नीलकमल शर्मा राजस्थान के प्रमुख अभिलेख पृ. १५५ १६५ पटनी, सोहन लाल, पूर्वो० प. ६१-१०६. ३. गहलोत, पुरोहित एवं शर्मा, पूर्वो. पृ. १६१ ४. वही, पटनी, पूर्वो. ६३ ५. गहलोत, पुरोहित एवं शर्मा, पूर्वो. १६२ ६. जैन के. सी. जैनिज्म इन राजस्थान, पृ. २६ ७. पटनी, पूर्वो. पृ. ७४ ८. पटनी, पूर्वो. पृ. ७६ ९. वही, पृ. ८१ १०. वही। ११. वही । प्राचीन काल में कर्ष एक मुद्रा का नाम था । द्र. श्लोक ९. टि. वि. १ सं. ९९८, ९७३ का शिलालेख १२. देखे श्लोक १० सम्भवतः चोल्लिका भी कोई सिक्का ही होता था। ऐसा विचार डा. पटनी का है। देखे उनका ग्रन्थ पृ. ८२ १३. शर्मा दशरथ, राजस्थान थ द एजेज, पृ. ३३० १४. पटनी, पूर्वो. प. ८२ आढक =४ सेर १५ कोड़ी का २० वां भाग विशोषक कहलाता था । __ भार=माप, पालिका-एक सिक्का १६. श्लोक १४, १७. राझा तत्पुत्र पौतेश्च गोष्ठ्या पुरजनेन च। गुरु देव धन रक्ष्यं नोपेक्ष्यं हितमीप्सुभिः१/१५११ दत्ते दान फलं दानात्पलिते फलम् । भक्षिते पाप गुरुदेव धने ऽधिकम् ॥१६॥ १८. पटनी पूर्वो. पृ. ७८ वि सं. १०५३ का शिलालेख पृ. ८९ वि. सं. १०४८ १९. पटनी शिलालेख वही प, ८६-८७, शिलालेख वि स. १३३५१३३६,१३४५ २०. पुरोहित सोहन कृष्ण राजस्थान के प्राचीन अभिलेखो में वर्णित गोष्ठियां : उनका सामाजिक कार्य ७००-१२०० ई (शोध निबन्ध) परिषद पत्रिका वर्ष २७ अंक १-४ अप्रैल १९८७-८८ पृ. १८८, जैन के. सी. जैनिज्म इन राजस्थान पृ. २७ एवं एन्श्येण्ट सिटीज एण्ड टाउन्स ऑव राजस्थान, पृ. २७२ सोमानी, आ. वी. पूर्वो, परिशिष्ट पृ. ३४ ४५३ बंड २३, अंक ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524594
Book TitleTulsi Prajna 1998 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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