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'तुलसी प्रज्ञा--पचीसवीं वर्षगांठ
मार्च, सन् १९७३ में अनुसंधान-पत्रिका के प्रवेशांक के रूप में शुरू हुई इस शोध पत्रिका को सन् १९७५ में 'तुलसी प्रज्ञा'-नाम मिला और निरन्तर प्रकाशित-प्रसारित होते हुए वर्तमान अंक-१०३ (भाग २३ के तीसरे अंक) के साथ यह अपने पचीस वर्ष पूरे कर रही है । एतदर्थ पाठक और लेखकों के प्रति सादर आभार ! .
डॉ० महावीरराज गेलड़ा, जो 'जैन विश्व भारती संस्थान' के प्रथम कुलपति और राजस्थान सरकार में महाविद्यालय शिक्षा निदेशक पद से सेवामुक्त और वर्तमान में 'राजस्थान राज्य भारत स्काउट व गाइड'– संस्थान के राज्य-सचिव हैं, इस शोध पत्रिका के प्रथम संपादक रहे हैं। इस अवसर पर प्राप्त उनका पत्र कतिपय अन्य पत्रों के साथ अविकल रूप नीचे प्रकाशित किया जा रहा है।
'प्रिय श्री सोलंकीजी,
जैन विश्व भारती, लाडनूं द्वारा त्रैमासिक अनुसंधान-पत्रिका का प्रकाशन १९७३ में प्रारंभ हुआ था और मैं इसका प्रथम संपादक था। दो वर्ष बाद सन् १९७५ में यह पत्रिका 'तुलसी प्रज्ञा' के नाम से जैन विद्या के अध्येताओं को प्रस्तुत की गई। संपादन की निरन्तरता, मेरी बनी रही। इसमें केवल शोध लेख ही प्रकाशित होते थे और गुरुदेवधी तुलसी की दृष्टि इसे सींच रही थी, अतः यह पत्रिका शोध क्षेत्र में रामाणिक मानी जाने लगी और अन्य शोध लेखों में इसका उद्धरण होना प्रारम्भ हो गया।
जैन विद्वान् दलसुख मालवणियाजी ने अहमदाबाद से लिखा था- भाई श्री गेलड़ाजी, तुलसी प्रज्ञा मासिक अंक मिला। संशोधक के रूप में सामग्री उच्च कोटि की है। यह पता नहीं लगा कि यह नियतकालिक है या अनियतकालिक । आपके उत्साह के लिए धन्यवाद ।"
यह पत्रिका अपने उतार चढ़ाव देखती हुई आज पचीस वर्ष पूरे कर रही है। इसकी मुझे प्रसन्नता है । जैन विश्व भारती संस्थान से त्रैमासिक निकलने वाली यह पत्रिका अपने उच्च स्तर को बनाए हुए है, इसमें डॉ० परमेश्वर सोलंकी का परिश्रम अभिनन्दनीय है।"
२. डॉ. धर्मचन्द जैन, अध्यक्ष, प्राच्यविद्या विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र जो वहीं से प्रकाशित 'प्राची ज्योति'-डाइजेष्ट ऑव इण्डोलोजिकल स्टडीज के संपादक भी हैं, लिखते हैं।
“आदरणीय सोलंकीजी,
'तुलसी प्रज्ञा' बराबर नियमित मिल रही है। उत्तम पत्रिका है कुछएक अपने विचार लिख भेज रहा है। तुलसी प्रज्ञा' में प्रकाशित आलेखों को Summaries हम यहां अपने Digest' प्राची ज्योति' में निकालते हैं।
“जैन कर्म एवं दर्शन से सम्बद्ध देश एवं विदेशों में मासिक, त्रैमासिक, पाण। मासिक एवं वार्षिक लगभग २०० पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं किन्तु शोध । प्रविधि की ओर उन्मुख बहुत कम ही पत्रिकाएं दृष्टिगोचर होती हैं । जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, लाडनूं से प्रकाशित 'तुलसी प्रज्ञा' अनुसंधान के क्षेत्र में सर्वोत्तम पत्रिका है जिसमें प्राच्य विद्या की विविध विधाओं को लेकर भारतीय एवं वैदेशिक विद्वानों के अमूल्य खोजपूर्ण आलेख प्रकाशित होते हैं जो शोधार्थियों के लिए ही नहीं, भारतीय विद्या में निष्णात प्रौढ़ विद्वानों के के लिए भी अत्यन्त उपादेय हैं। शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे सत्प्रयासों का अभिनंदन किया जाना चाहिए।"
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