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________________ उपशम सम्यक्त्व का काल पूर्ण होने पर क्षयोपशम सम्यक्त्व होता है । जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है, क्षयोपशम सम्यक्त्व सादि मिथ्यादृष्टि के मिथ्यात्व गुणस्थान से चढ़कर सीधे भी हो सकता है । इसी प्रकार यह सम्यक्त्व तीसरे गुणस्थान (मिश्र गुणस्थान) में भी सीधे हो सकता है । क्षयोपशम सम्यक्त्व एक प्रकार का ही होता है । इसे वेदक सम्यक्त्व भी कहते हैं । क्षयोपशम सम्यक्त्व तथा वेदक सम्यक्त्व में कथर का ही अन्तर है । मिथ्यात्व मिश्र मोहनी की मुख्यता करके कहने पर इसे क्षयोपशम सम्यक्त्व कहते हैं तथा सम्यक्त्व मोहनी की मुख्यता करके कहने पर इसे वेद सम्यक्त्व कहते हैं। चौथे गुणस्थान से सातवें गुणस्थान तक क्षयोपशम सम्यक्त्व का धारक क्षायिक सम्यक्त्व को प्राप्त कर सकता है। यदि सातवें गुणस्थान तक भी क्षयोपशम सम्यक्त्व का धारक क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त नहीं कर सका तो वह सातवें गुणस्थान में उपशम सम्यक्त्व (द्वितीय उपशम) को प्राप्त कर सकता है। ___आठवें गुणस्थान से ग्यारहवें गुणस्थान तक या तो उपशम सम्यक्त्व होगा या फिर क्षायिक सम्यक्त्व । क्षायिक सम्यक्दृष्टि जीव गुणस्थानों में निरन्तर वृद्धि करता है, कभी गिरता नहीं है। सातवें गुणस्थान से लेकर ग्यारहवें गुणस्थान तक यदि मृत्यु हो जाए तो चतुर्थ गुणस्थान प्राप्त होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि गुणस्थानों के चढ़ते-उतरने के क्रम का यह चित्रात्मक प्रस्तुतीकरण अपने आप में काफी हद तक पूर्ण है तथा सांप-सीढ़ी या ज्ञानबाजी की तुलना में बहुत सरल भी है। संदर्भ १. “जैन दर्शन में कर्मवाद सिद्धांत : एक अध्ययन; लेखिका-डा० कुमारी मनोरमा __ जैन, पृ० १९१ २. "जैन सिद्धांत'-लेखक सिद्धांताचार्य पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री, पृ० ७० ३. "जैनेन्द्र सिद्धांत कोश" (भाग-२)-क्षु० श्री जिनेन्द्र वर्णी, पृ० २४७ ३. "Jaina Textilas, Manuscripts, Sculpture, Ceremonial objicts and Woodwork: From 'Calico Museum of Textiles, p 11 ४. 'The Scientific Foundation of Jainism by K. V. Mardia p. 107 & 108 ६. "मोक्ष मार्ग प्रकाशक, नवमां अध्याय-पं० टोडरमल । २१५ तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524592
Book TitleTulsi Prajna 1997 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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