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________________ समानाधिकरणपदघटितो व्याधिकरणपदघटितश्चेति पुनद्विविधः। तत्र समानाधिकरणबहुव्रीहिर्यथा नीलाम्बरादिः । व्यधिकरणसमासे तु दण्डपाणिरित्यादिः । वैयाकरण मते तु शब्दष्षड्विधः । तथाहि मुख्योलाक्षणिको गौणः शब्दः स्यादोपचारिकः । यौगिको योगरूढश्च शब्दः षोढा निगद्यते' इति । इस प्रकार उद्भट विद्वान् पण्डित आशुबोध विद्याभूषण निश्चित ही न्याय और व्याकरण दोनों सम्प्रदायों के निष्णात मर्मज्ञ थे। सारमंजरी के दुरूह स्थलों को उद्घाटित करने वाली यह व्याख्या निश्चित ही विषय के दुरुह स्थल के रहस्यों को खोलकर विषय को परिवधित करती है। व्याख्याकार ने अपनी व्याख्या में प्रायः आचार्य भर्तृहरि को अपना आदर्श स्वीकार किया है और नव्यन्यायशैली को अपनाया है । विद्याभूषण जी ने सारमंजरी के वक्तव्यों को स्पष्ट करते हुए उदाहरण-प्रत्युदाहरणों से पुष्ट किया है अतः इनकी परिवद्धितव्याख्या अन्वर्थनामा ही है। इस प्रकार श्रीजयकृष्ण तर्कालङ्कार ने व्याकरणशास्त्रीय सिद्धांतों को सारभूत रूप में प्रस्तुत करने वाली शब्दार्थोभयाश्रित शाब्दबोधपरक 'सारमंजरी' नामक स्वकृति द्वारा 'गागर में सागर' की उक्ति को चरितार्थ कर दिया है। फलत: इस कृति के माध्यम से व्याकरणशास्त्र एवं न्यायशास्त्र का समन्वित रूप में सिद्धान्तज्ञान प्राप्त होता है। मात्र इस कृति का सम्यक पर्यालोचन कर लेने पर भी व्याकरणशास्त्रीय सिद्धान्तों का सम्यक् ज्ञान प्राप्त हो सकता है-ऐसा कहें तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं। संदर्भ : १. दण्डी, काव्यादर्श, प्रथम परिच्छेद (मेहरचन्द लछमनदास प्रकाशन, प्रथम संस्करण, दिल्ली, १९७३) कारिका ३३ २. भर्तृहरि, वाक्यपदीय, ब्रह्मकांड (चौखम्भा संस्कृत संस्थान, पञ्चम संस्करण, वाराणसी, १९८४) कारिका १६ ३. वही, १.१३२ ४. वही, १११ ५. वही, १.१२ ६. वही, १.१३ ७. वही, १.१४ ८. वही, १.१४ ९. वही, १.२२ १०. पतञ्जलि, व्याकरणमहाभाष्य, पस्पशाह्निक (दिल्ली, १९६७) पृष्ठ १-२ ११. वाक्यपदीय, ब्रह्मकांड, कारिका ४३ १२. वही, १.१४२ १३. वही, १.१४३ १४. पतञ्जलि, व्याकरण महाभाष्य, पस्पशाह्निक, पृ. ४३ बय २३, बंक १ ८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524591
Book TitleTulsi Prajna 1997 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size9 MB
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