SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खगोल विद्या नक्षत्र-भोजन के माँसपरक शब्दों का अर्थ मुनिश्री श्रीचंद 'कमल' - झूमरमल बैंगानी ब्रह्माण्ड जितना हम देखते हैं या देख सकते हैं उतना ही नहीं है। यह अति विशाल ब्रह्माण्ड तारों से भरा है। बिना दूरबीन की सहायता के करीबन छः हजार तारे देखे गए हैं। दूरबीन के आगे वाला लैंस का व्यास १ इन्च हो तो एक लाख तारे देखे जा सकते हैं और अगर दूरबीन के लैंस का व्यास १० इन्च का हो तो पचास लाख तारे गिने जा सकते हैं। ___वर्तमानकाल में सबसे बड़ी ज्योतिष संबंधी वेधशाला मौण्ट विलसन पर है, जिसमें सबसे बड़ा दूरवीक्षण (१०० इन्च लैस वाला) है । इस यंत्र के द्वारा आकाश में आठ सौ चौरासी महाशंख मील (८४०००००००००००००००००००) दूरी के पदार्थ दिखलाई देते हैं। जो तारा पृथ्वी के सबसे अधिक निकट है, उसकी दूरी ७६ अरब मील है और जो तारा हमारे सबसे निकट है उसका प्रकाश हमारे पास आने में ४३ वर्ष लगते हैं । प्रकाश एक सैकड में १८६७७२ मील चलता है। जैसा हमारा सूर्य है ऐसे ही इन तारों में भी बहुत से सूर्य हैं और उनके चारों ओर तारे घूमते हैं जो अत्यन्त दूर होने से केवल तारों के समान दिखाई देते हैं । नक्षत्र आकाश में एक ही स्थान पर अनेक तारे एकत्रित होकर जो आकाश बनाते हैं उसे नक्षत्र कहते हैं। नक्षत्र २७ हैं-अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्व फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा पूर्वभाद्रपदा, उत्तरभाद्रपदा, रेवति । इनके अलावा आकाश में एक नक्षत्र और दिखलाई देता है उसका नाम अभिजित् है । ज्योतिष के कई आचार्य मानते हैं कि उत्तराषाढा नक्षत्र की १५ घड़ियां और श्रवण नक्षत्र की चार घड़ियां-कुल १९ घड़ियां अभिजित् नक्षत्र का कालमान है। खण्ड २२, बंक ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524589
Book TitleTulsi Prajna 1996 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy