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६८९. सूनै माथै बामण आछो कोन्या । ६९०. सेर की होडी में सवा सेर कोनी खटावै । ६९१. सोक तो का, चून की बुरी । ६९२. सो दिन चोर का एक दिन साहूकार का । १९३. सो नकटा में एक नाक हालो ही नक्कू बाजे । ६९४. सोनूं गयो कर्णक के साथ । ६९५. सोने के काट कोन्या लागे । ६९६. सोने के थाल मे तांबे की मेख । ६९७. सो मे सूर सहस मे काणू सबसे खाटो ऐंचा ताणू ऐंचा ताणू करी पुकार कजा से
रहियो हुशियार। ६९८. सोलै साल से माथा न्हायो जेली से सुलझायो । ६९९. स्याणा समझवान की तो सगली बातां मोत है। ७००. स्याम का मरयां नं दिन कद उगै । ७०१. स्वामीजी तिलक तो चोखा करया के सूख्या ठा पड़सी। ७०२. स्यालो तो भोगी को अर ऊनालो जोगी को।
७०३. हंस आपके घर गया काग हुआ परधान जावो विप्र घर आपण सिंघ किसा
जजमान। ७०४. हकीम जी ? मैं तो मरयो तो कह अठ कुण जीरयो है। ७०५. हड़र हस कुमारड़ी मालण का टूट बूंट तूं के हस बावली फैकड़ बैठे ऊँट । ७०६. हथेली में सिरस्यूं कोनी ऊगे । ७०७. हर बड़ा क हिरणा बड़ा सगुणा बड़ा के श्याम अरजन रथ ने हांक दे भली कर
भगवान । ७०८. हर हर गंगा गोदावरी कि मैक शरदा अर किं मैकं जोरावरी। ७०९. हरयो देख चरै सूक्यों देख बिदक। ७१०. हलदी जरदी नात जै, खट रस तजै न आम शीलवंत गुण ना तजे, ओगुण तज न
गुलाम । ७११. हल्दी में रंग्योड़ी चादर नाम पीतांबर । .७१२. हवा-हवा को मोल है। ७१३. हांसी में खांसी हो ज्याय । ७१४. हाथ ने हाथ खाय । ७१५. हाथ पोलो जगत गोलो। ७१६. हाथलियो कांसो मांगण को के सांसो । ७१७. हाथियां की कमाई खातां मीडकां की कद खाई। ७१८. हाथी के गैल घणाई गंडकड़ा घुरीया करै है।
खंड २२, अंक २
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