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________________ झाबरा (पोकरण) की देवलियां E] परमेश्वर सोलंकी राजस्थान राज्य के जोधपुर डिविजन में पोकरण से शेरगढ़ तथा फलौदी से फलसूट जाने वाली सड़क पर बसा गांव झाबरा, वर्तमान में थानक गोत्री राजपुरोहितों की आबादी है। यह गांव पुराने आम रास्ते पर बसा है जो अजमेर-मेड़ता से फलौदी-पोकरण होकर लोद्र वा सक्कर-सिंध में जाता था। इसीलिए यहां दसवीं सदी के भी कुछ अस्पष्ट लेख मिले हैं । ___ यहां दो सौ वर्ष पूर्व हमराजांणी और पेमांणी पुरोहित रहते थे जो भट्टि वंश से संबंधित थे । गांव में पधराई गई दो देवली क्रमशः सं० १८४७ और सं० १८६१ इस कथन का समर्थन करती हैं। सं० १८४७ में पोह बदी दशमी शुक्रवार को एक स्तंभ स्थापित किया गया था क्योंकि उसी दिन हमराजांणी भाटी अणदै संभवतः अपने पति की मृत्यु का समाचार मिलने पर साष्टांग प्रणाम करती हुई देवलोक को गई थी। स्तंभ पर लिखा है-हमराजांणी भाटी अणदै सष्टांग लघाती देवलाग गमअति--- अर्थात् हमराजांणी भाटी गोत्र की अणदै साष्टांग प्रणाम करती हुई देवलोक जाती है । संभवत वह अपने निवास स्थान से देवली-स्थापना के स्थान तक जो अन्येष्टि-संस्कार का स्थल रहा होगा, साष्टांग प्रणाम (पृथ्वी पर लेटकर दण्डोत) करते हुए गई होंगी। दूसरी देवली पन्द्रह वर्ष बाद की है जो पहली देवली के साथ खड़ी की गई और उस पर सती माता की मूरत कोरने के अलावा घुड़सवार महिला भी उत्कीर्ण है। मनरूप पेमांणि के साथ सेवै सुरतांणोत की पुत्री उमां पुरोहिताणी के सती होने पर उसके भाई गोमे द्वारा खड़ी कराई गई यह चोसेला देवली है । संभवतः हमराजांणी भा । अणदै के परिजनों में ही मनरूप पेमांणी की पत्नी उमां है और सेवा और गोमा, दो उसके भाई हैं जो सुरतांणोत कहे गए हैं। खण्ड २७, अंक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524587
Book TitleTulsi Prajna 1996 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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