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क्षेमराज और कर्णदेव दो पुत्र हुए जिनमें द्वितीय कर्णदेव के पुत्र जयसिंह ने नरवर्मा, मदनवर्मा, बर्बरक आदि को हरा कर सिद्धराज का वीरूद पाया।
इस प्रकार जयसिंह सूरि ने इतिहास की रक्षा करते हुए सोलंकियों के इतिहास को मूलपुरुष चुलुक्य से प्रारंभ बताया है और उनकी राजधानी मधूपद्म पत्तन । वहां अनेकों राजाओं के बाद सिंहविक्रम और हरिविक्रम के बाद राजाराम द्वारा अर्बुद राज्य स्थापना करने का उल्लेख करके राजा मूलराज द्वारा गुजरात में राज्य स्थापना कही है। 'कुमारपाल भूपाल चरित्र' के कवि के अनुसार चालुक्यों (सोलंकियों) का जो वंश वृक्ष बनता है उसमें अनेकों राजा अथवा वंशजों के नाम नहीं हैं। यह वंशवृक्ष निम्न प्रकार बनाया जा सकता है ।
मूलपुरुष ---चुलुक्य (मधूपद्म पत्तन का राजा, जिसके बाद अनेकों लोक विश्रृत राजा हुए)
सिंह विक्रम
(सुवर्ण सिद्धि पाकर पृथिवी को अनृण (करमुक्त) करने वाला एवं अपना
संवत्सर चलाने वाला नृपति)
हरिविक्रम
(८५ राजाओं के बाद शकवंश को निर्मूल करने वाला राजा)
राम
(आबू में चोलुक्य वंश का पहला राजा)
सहजराम
(तीन लाख अश्वों के स्वामी शकपति को मारने वाला)
दड़क्क (विपाशा राष्ट्र के राजा गज को जीतने वाला)
राजि
(सोमेश्वर की महायात्रा करने वाला व गुर्जर शासक सामन्तसिंह की भगिनी लीला से विवाह करने वाला)
मूलराज
(गुर्जर शासक सामन्तसिंह का उत्तराधिकारी जिसने राजा लक्ष को जीत कर विपुल सम्पदा पाई)
तुलसी प्रज्ञा
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