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________________ पुस्तक-समीक्षा साहित्य-सत्कार एवं ग्रन्थ-चर्चा १. श्री हजारीमल बांठिया अभिनंदन ग्रन्थ; पृष्ठ ६१६ (दो सौ से अधिक रंगीन चित्रों सहित) प्रकाशक --- श्री हजारीमल बांठिया सम्मान समारोह समिति, साकेत कॉलोनी, अलीगढ़ --- २०२००१, संपादक --- डॉ. गिर्राज किशोर अग्रवाल । मूल्य ११००/- रुपये। प्रस्तुत अभिनंदन ग्रन्थ, शुभकामनाएं, संस्मरण, पत्रों के प्रकाश में, व्यक्ति एक संस्थाएं अनेक, बांठिया रचित साहित्य और बांठिया फाउण्डेशन---शीर्षकों से छह खण्डों में विभक्त है। श्रीयुत हजारीमलजी को उनके ७२वें वर्ष प्रवेश पर भेंट हुआ यह अभिनंदन ग्रन्थ, देश-विदेश से प्राप्त हुई ७० शुभकामनाओं और ७० ही संस्थाओं से उनके जुड़े होने के विवरण से महत्त्वपूर्ण बन गया है। यह बांठियाजी के विराट व्यक्तित्व का परिचायक है। अभिनंदन ग्रन्थ में, बांठियाजी द्वारा लिखित सम्पूर्ण प्रकाशित साहित्य पुनः एक साथ मुद्रित कर दिया गया है। धार्मिक साहित्य, पूर्वज और महापुरुष, विविध रचनाएं, बाल साहित्य तथा मुनि जिनविजय और डॉ० तैस्सितोरी विषयक उनका लेखन-सब बहुत उपयोगी संग्रह है। बांठिया फाउण्डेशन- शीर्षक खण्ड में बांठिया-वंश के संबंध में दुर्लभ जानकारी एकत्र हो गई है । इस खण्ड में जय तुलसी फाउण्डेशन के निदेशक श्री पन्नालाल बांठिया द्वारा प्रस्तुत बांठिया-वंश में हुई दीक्षाओं का विवरण है और प्रथम हिन्दी वाणिज्य पुस्तक लेखक कस्तूरमल बांठिया, स्वाधीनता संग्राम के अप्रतिम योद्धा अमर शहीद अमरचन्द बांठिया (ग्वालियर), लेश्या कोश, क्रिया कोश आदि के संपादक मोहनलाल बांठिया आदि के प्रेरणादाई जीवन चरित्र प्रकाशित हुए हैं। पत्रों के प्रकाश में ---खण्ड, जो इस अभिनंदन ग्रंथ का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण खण्ड है, उसमें मुनि कांतिसागर, मुनिराज विद्या विजय, देवीलाल सागर, ब्रिजलाल बियाणी, राजा महेन्द्र प्रताप, जगजीवन राम, सुचेता कृपलानी, इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी, ब्रजेन्द्रनाथ शर्मा, नैनान अब्राह्म, जी. डी. तपासे, के. के. सिन्हा, ब. दा. जत्ती, कृष्णदत्त वाजपेयी, रघुवीरसिंह सीतामऊ, काका हाथरसी, विश्वंभरनाथ उपाध्याय और इटली आदि से प्राप्त सभी पत्र बहुत आत्मीय और प्रभावोत्पादक हैं । वस्तुतः अभिनंदन ग्रंथ के संपादक ने उसे प्राप्त सामग्री का पूर्ण सदुपयोग किया है और इस बहाने बहुत कुछ प्रकाशित कर संरक्षित कर दिया है। यद्यपि इस ग्रंथ की कीमत ग्यारह सौ रुपये रखी गई है किन्तु इसे हर पुस्तकालय में पहुंचाने का सदुपयोग खम १२, अंक ४ ३३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524586
Book TitleTulsi Prajna 1996 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size10 MB
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