SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुक्रमणिका/Contents २४३-२५० २५१-२५६ २५७ --२६६ २६७ -२७४ २७५--२८६ २८७-२९४ १. संपादकीय --जर्मन विद्वान् पीटर फुगेल का थीसिस २. कर्म बंध और जैनदर्शन जिनेन्द्र जैन ३. उपनिषदों में कर्म का स्वरूप आनंद प्रकाश त्रिपाठी ४. अनुत्तरोपपातिक दशा की विषयवस्तु अतुलकुमार प्रसाद ५. आत्म-परिमाण समणी ऋजप्रज्ञा ६. जीव की परिभाषा और अकलंक नंदलाल जैन ७. एलोरा की जैन मूर्तियों का शिल्प शास्त्रीय वैशिष्ठय आनंदप्रकाश श्रीवास्तव ८. काव्य के तत्त्व और परिभाषाएं मुनि गुलाबचंद्र निर्मोही' ९. उपमा-अलंकार के स्वरूप-लक्षण कुमारी सुनीता जोशी १०. मनोविकास की भूमिकाएं समणी प्रसन्नप्रज्ञा ११ उपनिषद् और जैनधर्म में आत्मस्वरूप-चिंतन हरिशंकर पाण्डेय १२. वाल्मीकि रामायण की ऊर्मिला कुमारी ममता १३. साहित्य-सत्कार एवं ग्रंथचर्चा परमेश्वर सोलंकी २९५-३०२ ३०३--३१० ३११-३१४ ३१५-३२४ ३२५-३३० ३३१-३३५ कालक्रम और इतिहास ०३-०६ १. मास और राशियों का निर्धारण शक्तिधर शर्मा २. नवकुरुक्षेत्र निर्माण-प्रशस्ति परमेश्वर सोलंकी ०७-१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524586
Book TitleTulsi Prajna 1996 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy