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________________ काम्यकगच्छ ० डॉ० शिवप्रसाद - निर्ग्रन्थ दर्शन के श्वेताम्बर आम्नाय में विभिन्न स्थानों के नाम से उद्भूत गच्छों में काम्यक गच्छ भी एक है। काम्यक नामक स्थान से सम्बद्ध होने के कारण इस गच्छ का उक्त नामकरण हुआ। श्री विमलाचरण लाहा ने काम्यक की पहचान राजस्थान प्रान्त के भरतपुर जिले में अवस्थित कामा स्थान से की है। भरतपुर जिले के ही बयाना (प्राचीन श्रीपथ) नामक स्थान से वि० सं० ११०० (ई. सन् १०४) का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है जो आज मस्जिद के रूप में परिवर्तित एक जैन मंदिर की दीवार पर उत्कीर्ण है । फ्लीट ने रोमन लिपि में इसकी वाचना दी है, जिसका कुछ सुधार के साथ नागरी लिपि में रूपान्तरण निम्नानुसार है : ॐ ॐ नमः सिद्धेभ्यः ।। आसीनितकान्वयकतिलक: श्रीविष्णुसूर्यासने श्रीमत्काम्यकगच्छतारकपथश्वेताशुंमान् विश्रुत । श्रीमान्सूर्यमहेश्वरः प्रशमभूः प्रशम्भूः श्वेताम्ब (ब) रग्रामणीः राज्येश्रीविजयाधिराजनपतेः श्रीश्रीपथायांपुरी ॥ ततश्च नाशं यातुशतं सहस्रसहितं संवत्सराणां द्रुतम्, म्यामा [नाम्ना] भाद्रभद सभद्रपदवीं मासः समारोहतु । सास्यैव क्षयमेतु सोम स (हि) ता कृष्णा द्वितीया तिथिः, पंचश्रीपर [मेष्ठी] निष्ठ हृदयः प्राप्तोदिवं यत्र सः ।। [अ] [पि] च ॥-कोतिर्दिक्करिकान्तदन्तमुशल प्रोद्भूतलास्यक्रमम, क्वापि क्वापि हिमाद्रि मु-मही [मुद्रितमही] सोत्प्रास [सोऽत्रास] हास स्थितिम् क्वाप्यरावण नागराजनजित स्पर्धानुबद्धोदस्म नुव (बं) धोधुरं भ्र[7] मयन्ति भुवनत्रयम् त्रिपथगेवाद्यापि न श्राम्यति ।। सं० ११०० भाद्रवदि २ चन्द्रे कल्याणक दि [ने] प्रशस्तिरियं साधु सर्वदेवेनोकीण्णेति ॥ यही इस गच्छ से सम्बद्ध एकमात्र उपलब्ध साक्ष्य है। जैसा कि ऊपर हम देख चुके हैं यह लेख ओम् नमः सिद्धेभ्यः से प्रारम्भ होता है। इसके द्वितीय और तृतीय पंक्ति में निवृत्ति अन्वय (कुल) से उद्भूत काम्यकगच्छ में हुए विष्णुसूरि के पट्ट पर आसीन महेश्वरसूरि का उल्लेख है जो वि० सं० ११०० में स्वर्गवासी हुए। लेख की पंचम पंक्ति से ज्ञात होता है कि इसे श्रीपथ के राजा या अधिपति विजय के खण्ड २१, अंक ३ २८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524585
Book TitleTulsi Prajna 1995 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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