SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तथा प्रान्तीय एवं स्थानीय सरकारों के सत्ता के विकेन्द्रीकरण पर सहमति हो गई, किन्तु व्यावहारिक प्रयोग में अधिक प्रगति न हो पाई। अगस्त १९९२ में ए. एन. सी. ने प्रदर्शनों, रैलियों, धरनों तथा आन्दोलनों से ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी कि दक्षिण अफ्रीका में शासन चलाना कठिन हो गया था । २६ सितम्बर १९९२ को पुनः शिखर वार्ता हुई, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि सायरस वान्स ने मध्यस्थता की । डब्लू. डी. क्लार्क को कांग्रेस की मांगों को स्वीकार करने को बाध्य होना पड़ा । इन स्वीकृत मांगों में शेष राजनीतिक जलूसों द्वारा ले जाने वाले तथाकथित सांस्कृतिक शस्त्रों पर रोक समीप जहां से बाइपाटोंग (जहां जून १९९२ में ए. एन. सी. के कार्यकर्ताओं की जुलू हत्यारों द्वारा हत्या की गई थी ।) हत्याकांड प्रारम्भ हुआ था, जुलू कर्मचारियों की घेराबंदी को राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया तथा घोषणा की कि तक संक्रमणकालीन कार्यपालिका की स्थापना की जायेगी जो कि का कार्य करेगी तथा अप्रैल १९९४ तक दक्षिण अफ्रीका का प्रथम समस्त जातियों द्वारा लिखित निर्वाचन होगा जो कि १० मई १९९४ को डॉ० नेलशन मंडेला के शपथ लेने के साथ संपन्न हुई । ए. एन. सी. अपने संघर्ष में सफल हुई और दक्षिण अफ्रीका में एक नये युग का प्रारम्भ हो गया । १९९३ के मध्य चुनाव संपन्न कराने मूल्यांकन दक्षिण अफ्रीका में हुए परिवर्तन को केवल राजनैतिक परिवर्तन मानना भूल होगी । इसमें सामाजिक व मनोवैज्ञानिक आयाम जुड़े हैं। वहां नये युग के निर्माण IT आधार विश्वास व उत्साह रहा । "पैट्रियाट" ने दक्षिण अफ्रीका में लोकतांत्रिक ढंग से सत्ता परिवर्तन को राजनैतिक चमत्कार की संज्ञा दी है। अखबार लिखता है। कि शान्तिपूर्ण चुनावों ने तमाम तरह की आकांक्षाओं को निर्मूल साबित किया है । विस्मय होता है कि नव भारत टाइम्स का कहना है कि "यह देखकर सचमुच श्वेत अल्पमत द्वारा शासित एक विकसित औद्योगिक देश ने बिना अपने को गैर नस्लीय लोकतांत्रिक राष्ट्र में तब्दील कर लिया है । यह अन्तिम दशक एक नये राष्ट्र के उदय पर गर्व से भरा हुआ दिखाई देता है । किसी हाहाकार के बीसवीं शताब्दी का नेलसन मंडेला निश्चय ही इस देश का नायक है जिन्होंने अपने संघर्षमय जीवन के २५ से भी अधिक वर्ष जेलों में बिताये है । लोकतंत्र की गरिमा की स्थापना के लिए डी क्लार्क की प्रशंसा करते हुए दैनिक पत्र " पैट्रीयाट" ने लिखा है कि "डी. क्लार्क ने समय को पहचान लिया था । उन्हें मालूम हो गया था कि गोराशाही के दिन अब लद गये हैं । इसे जबरदस्ती खींचने के लिए बहुत बड़ी आर्थिक व सामाजिक कीमत चुकानी पड़ेगी । उन्होंने बदलाव की पहल की। देश के लगभग सभी दल के नेताओं ने समझ से काम लिया और दक्षिण अफ्रीका के इतिहास पहली बार सर्वदलीय सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त किया । "नव भारत टाइम्स ने अपने सम्पादकी में इस विषय पर कहा कि "नये राष्ट्र के निर्माण में वर्तमान राष्ट्रपति डब्लू. डी. तुलसी प्रज्ञा ७२ बंदियों की मुक्ति, तथा जोहान्सवर्ग के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524583
Book TitleTulsi Prajna 1995 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy